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आखिर NCP तोड़कर अजित पवार ने ले ही लिया बदला, अकेले रह गए पवार
मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रदेश अध्यक्ष का निर्धारण करने के बहाने से रविवार को देवगिरी में बुलाई गई बैठक आखिर में पूरी पार्टी की टूट का कारण बन गई। दरअसल, अजित पवार (Ajit Pawar) पहले ही बगावत के मूड में थे, लेकिन वे इतना बड़ा कदम उठाएंगे, इसकी भनक शरद पवार (NCP Chief Sharad Pawar) तक को नहीं थी। 10 जून को NCP के दो कार्यकारी अध्यक्षों का ऐलान होने के बाद से गुस्से में चल रहे अजित पवार ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और बीजेपी के बीच खटासभरे रिश्ते को खूब भुनाया और देवगिरी की बैठक के ठीक बाद अपने 18 विधायकों को लेकर सीधे राजभवन पहुंचे और डिप्टी सीएम बनकर शरद पवार से बदला ले ही लिया।
उनके साथ 9 NCP विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें पवार के अलावा छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ शामिल हैं। महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अजित पवार के पास NCP के 53 में से 40 विधायकों का समर्थन है। अगर ऐसा है तो एकनाथ शिंदे के 40 विधायक और 10 निर्दलीय मिलाकर पार्टी को 50 विधायकों का समर्थन हासिल है। अगर इसमें NCP के 40 विधायक और जोड़ लें तो एकनाथ शिंदे को बीजेपी के 106 विधायकों के करीबी मुकाबले में खड़ा किया जा सकता है।
एकनाथ शिंदे ने एक तीर से किए दो शिकार
NCP में फूट का सारा दारोमदार सीएम एकनाथ शिंदे का है, जिन्होंने एक तीर से दो शिकार किए हैं। एक तो उन्होंने बीजेपी आलाकमान के आगे न झुकते हुए मंत्रिपरिषद पर अपना दबदबा बरकरार रखा है, वहीं NCP को तोड़कर बीजेपी की मनमानी को हमेशा के लिए रोक दिया है। इसके अलावा उनके इस मास्टरस्ट्रोक ने महाराष्ट्र की सियासत में NCP की पकड़ और कमजोर कर दी है। सूत्रों के अनुसार, अजित पवार के साथ राजभवन गए कुछ विधायक, पटना में विपक्षी एकता बैठक में मंच साझा करने और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ सहयोग करने के शरद पवार के एकतरफा फैसले से नाराज थे।
अकेले रह गए पवार
महाराष्ट्र में शिवसेना के उद्धव गुट और कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी, NCP और एकनाथ शिंदे गुट के वोट शेयर हाल में कम हुए हैं। NCP में मची उथल-पुथल के बाद तो उसके वोट शेयर में 3 फीसदी तक की गिरावट आई है और इसका फायदा कांग्रेस को मिला है। यही हाल एकनाथ शिंदे गुट का है, जिनकी दगाबाजी से लोगों में पार्टी के इस धड़े के प्रति समर्थन और कम हुआ है। अब अजित पवार के साथ कम से कम NCP के 29 विधायकों का साथ है। मुमकिन है कि इनकी संख्या जल्दी ही और बढ़े। इसका मतलब यह हुआ कि शरद पवार अपने एक दर्जन विधायकों के साथ अकेले रह गए हैं।
शरद पवार को नहीं थी मीटिंग की जानकारी
अजित पवार के राजभवन पहुंचने के दौरान NCP चीफ शरद पवार पुणे में थे। उन्होंने कहा- उन्हें पार्टी विधायकों के बैठक की कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, अजित पवार विपक्ष के नेता हैं तो विधायकों की बैठक बुलाने का उनहें अधिकार है। शरद पवार ने कहा कि 6 जुलाई को मैंने वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है और इसमें पार्टी से जुड़े फैसलों पर चर्चा की जाएगी। पहली बार 2 मई को जब शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद छोड़ा था तो इस बात की संभावना थी कि अजित पवार को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है। जब पार्टी नेताओं और समर्थकों ने शरद पवार के फैसले का विरोध किया तो अजित ने खुलेआम कहा था कि इस विरोध से कुछ नहीं होगा। पवार साहब अपना फैसला नहीं बदलेंगे। हालांकि 4 दिन में ही पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। वे जब इस बात की जानकारी मीडिया को देने आए तो अजित पवार वहां मौजूद नहीं थे। तब इस बात की चर्चा थी कि अजित शरद पवार के फैसले से नाराज हैं।
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