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High Court: विभागीय परीक्षा देने वाला कोई भी परीक्षार्थी पुनर्मूल्यांकन के लिए कर सकता है आवेदन
High Court Orders: शिमला। अब विभागीय परीक्षा देने वाला कोई भी परीक्षार्थी (Examinee) अपनी उतर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन (Revaluation) करवा सकेगा। प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विभागीय परीक्षा नियम 1997 के तहत उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन से जुड़ी पात्रता की शर्त को गैर कानूनी ठहराते हुए इसे रद्द (Cancelled) कर दिया है। इस नियम के अनुसार विभागीय परीक्षा देने वाला वही कर्मचारी अपनी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करवाने का हक रखता था जिसने संबंधित परीक्षा में 40 फीसदी या इससे अधिक अंक हासिल किए हों। 40 फीसदी से कम अंक पाने वाले कर्मचारी को यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
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न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी मुकेश चौहान द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए मूल्यांकन करवाने के लिए रखी गई उक्त पात्रता की शर्त को गैर कानूनी पाया और विभाग को 4 सप्ताह के भीतर प्रार्थी की उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करने के आदेश जारी किए। प्रार्थी के अनुसार, वह पॉलीटेक्निक संस्थान कंडाघाट में लेक्चरर के पद पर तैनात था। 14 अक्टूबर 2016 को उसने विभागीय परीक्षा (Departmental Examination) दी। वित्तीय प्रशासन में उसे 33 फीसदी अंक दिए गए। इससे असंतुष्ट होते हुए प्रार्थी ने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपनी उत्तर पुस्तिका प्राप्त की।
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प्रार्थी का आरोप था कि वह हिमाचल प्रदेश विभागीय परीक्षा नियम (Himachal Pradesh Departmental Examination Rules) 1997 के नियम 12(3)(प) के अंतर्गत रखी शर्त के कारण अपनी उत्तरपुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करवाने की पात्रता नहीं रखता था। इस शर्त के अनुसार यदि उसके 40 फीसदी या इससे अधिक अंक आते तो ही वह अपनी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन कराने के लिए पात्र होता। प्रार्थी ने इस शर्त को बिना किसी औचित्य की और भेदभाव पूर्ण ठहराते हुए खारिज करने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए इस शर्त को कानून ठहरा दिया।