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Uttarakhand UCC: शादी-तलाक और उत्तराधिकार तक बदल जाएंगे नियम, समझें पूरा मामला
नेशनल डेस्क। उत्तराखंड विधानसभा (Uttrakhand Vidhansabha) में मंगलवार को ऐतिहासिक यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल (UCC Bill) पेश किया गया। अब जल्द ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला राज्य बन सकता है। चार फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से यूसीसी बिल को मंजूरी मिलने के बाद बिल कानून बन जाएगा। उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड में शादी, तलाक (Divorce) और उत्तराधिकार पर विशेष जोर दिया गया है।
शादी के लिए कानूनी उम्र 21 साल होगी तय
कानून बनने के बाद युवतियों की शादी (Marriage) की कानूनी उम्र 21 साल तय हो जाएगी।
बहुविवाह पर लगेगी रोक
कुछ कानून में बहुविवाह (Polygamy) करने की छूट है। चूंकि हिंदू, ईसाई और पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है और सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कुछ लोग दूसरा विवाह करने के लिए धर्म बदल लेते हैं। यूसीसी के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लगेगी।
तलाक पर ये बड़े नियम
किसी भी लड़के या लड़की को शादी के तुरंत बाद तलाक की सुविधा नहीं रहेगी। शादी की एक साल का समय पूरा होने के बाद ही तलाक की अर्जी दायर की जा सकेगी। मुस्लिम (Muslim) समाज में तीन तलाक जैसी व्यवस्था का अंत हो जाएगा। कानूनी तौर पर तलाक के लिए हिंदू और मुस्लिम सभी वर्ग को एक समान तरीके से प्रक्रिया से गुजरना होगा। पहले से शादीशुदा व्यक्ति को बिना तलाक लिए दूसरी शादी की इजाजत नहीं दी जाएगी। अगर कोई शादी करता है तो उसे योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
लिव इन में रहने वाले गौर करें
लिव इन रिलेशनशिप (Live-In-Relationship) में रहने वालों को अपनी पूरी जानकारी देनी होगी। जोड़े को अपने माता- पिता से एनओसी लेना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर युगल को छह महीने का कारावास और 25 हजार का दंड या दोनों हो सकते हैं। लिव इन जोड़े को अगर बच्चे होते हैं तो उसका भी पिता-माता की संपत्ति में पूरा अधिकार होगा। इस नियम से लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालें कभी भी एक-दूसरे को धोखा नहीं दे पाएंगे।
उत्तराधिकार को लेकर विशेष प्रावधान
मुस्लिम महिला भी अब बच्चों को गोद ले पाएंगी। वहीं, अगर सिंगल गर्ल चाइल्ड (Girl Child) वाली लड़की की मौत शादी के बाद होती है तो उसके माता-पिता की देखरेख की जिम्मेदारी पति की होगी। इसके अलावा गोद लिए गए बच्चे को भी संपत्ति में एक समान अधिकार मिलेगा। जैविक संतानों और कानूनी रूप से गोद लिए गए बच्चों में माता-पिता कोई फर्क नहीं कर पाएंगे। लड़कियों का भी पैत्रिक संपत्ति में अधिकार होगा। वहीं, बुजुर्ग माता- पिता की देखरेख को लेकर भी यूसीसी में विशेष प्रावधान किया गया है। कानून लागू होने के बाद नौकरीपेशा (Employed) बेटे की मौत की स्थिति में बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी की होगी साथ ही पत्नी को मुआवजा भी मिलेगा। पति की मौत के बाद अगर पत्नी दोबारा शादी करती है तो उसे मिलने वाले मुआवजे पर मां-बाप का भी बराबर का अधिकार होगा।