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इधर साहेब की सैलरी रुकी और उधर कोर्ट के आदेशों पर हो गया अमल
शिमला। लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियर इन चीफ और धर्मपुर डिवीजन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की सैलरी रुकते ही 24 घंटे के भीतर कोर्ट के आदेश पर अमल हो गया। हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने साढ़े चार साल से अदालती आदेशों की अनुपालना करवाने से जुड़े मामले में लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ और धर्मपुर डिवीजन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर का वेतन रोकने के आदेश दिए थे।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अनिल कुमार द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए थे। वेतन रुकने के आदेशों के आते ही प्रार्थी के पक्ष में 26 सितम्बर 2018 को आए फैसले पर अमल 24 घंटे के भीतर हो गया। इस कारण कोर्ट ने वेतन रोकने वाला आदेश वापिस ले लिया। उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 12 जून 2023 को पारित आदेशों में स्पष्ट किया था कि प्रार्थी के पक्ष में आए फैसले पर अमल 6 सप्ताह में किया जाए, अन्यथा दोषी कर्मियों को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा।
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24 घंटे में आदेश जारी हो गए
मामले पर सुनवाई 24 जुलाई को निर्धारित की गई थी। मगर उस दिन भी लोक निर्माण विभाग फैसले पर अमल करने में नाकाम रहा था। मामले पर सुनवाई के दौरान विभाग ने एक बार फिर अतिरिक्त समय की मांग की थी, जिसके कारणों को अपर्याप्त पाते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक फैसले पर अमल नहीं हो जाता, तब तक इनका वेतन जारी न किया जाए। वेतन रुकते ही फैसले पर अमल हुआ और अगले ही दिन हाईकोर्ट में अनुपालना आदेश पेश कर दिए गए।
यह था पूरा मामला
याचिकाकर्ता एचपीपीडब्लूडी धर्मपुर में वर्ष 1998 में दैनिक भोगी के रूप में नियुक्त हुआ था। वर्ष 2007 में उसे नौकरी से निकाल दिया गया। मामले को लेबर कोर्ट धर्मशाला के समक्ष लाया गया। लेबर कोर्ट ने विभाग को आदेश दिए कि गलत तरीके से निकाले प्रार्थी को 25 हजार रुपए एकमुश्त दिया जाए। प्रार्थी ने इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दौलत राम बनाम राज्य सरकार के फैसले के आधार पर प्रार्थी को ऐसा ही लाभ देने के आदेश वर्ष 2018 में दिए थे, जिसमें प्रार्थी को बिना बैक वेजिज के पुनर्नियुक्ति प्रदान करने को कहा गया था। विभाग ने 5 साल बीत जाने के बावजूद प्रार्थी को नियुक्ति नहीं दी थी।