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हिमाचल, उत्तराखंड का पानी हरियाणा होते हुए कल पहुंचेगा दिल्ली, बाढ़ की आशंका
नई दिल्ली। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हो रही जोरदार बारिश (Torrential rain in Himachal and Uttarakhand) का पानी अब मैदानों में नदियों को उफान पर ला रहा है। पंजाब (Punjab) जहां एक ओर बाढ़ के खतरे को झेल रहा है, वहीं हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज (Hathnikund Barrage) से सोमवार सुबह 8 बजे करीब 2.79 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़े जाने के बाद मंगलवार सुबह तक दिल्ली में यमुना का पानी खतरे के निशान (Water Level of Yamuna ) को पार कर जाने की आशंका है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि फिलहाल यमुना का जलस्तर खतरे का निशान 204.50 मीटर के करीब है।
पिछले 48 घंटों से लगातार बारिश के बाद दिल्ली सरकार भी एक्टिव हो गई है। दिल्ली-एनसीआर में पिछले 48 घंटे से जारी बारिश ने राजधानी को पूरी तरह से जाम कर दिया है। हर तरफ पानी का मंजर है। इधर, हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी खतरा बढ़ा रहा है। दिल्ली में 1978 और 2010 में यमुना के पानी ने खूब तांडव मचाया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने कहा है कि दिल्ली के सिस्टम को इस तरह डिजाइन नहीं किया गया है कि इतनी बारिश झेल सके और इस वजह से लोगों को दिक्कतें हुईं। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक दूसरे पर उंगली उठाने का समय नहीं है।
इससे ज्यादा बारिश नहीं झेल पाएगी दिल्ली
दिल्ली का सिस्टम कितना बर्दाश्त कर सकता है, पिछले कुछ सालों का हम उदाहरण लें। पिछले कुछ सालों में 3-4 बार 100 एमएम से ज्यादा बारिश हुई, तब भी कुछ इलाकों में जलभराव हुआ। लेकिन कुछ घंटों में ठीक हो गए। दिल्ली ने 100-125 एमएम बारिश को बर्दाश्त किया था। लेकिन 153 एमएम बारिश हुई अभूतपूर्व है जिसकी वजह से दिल्ली के लोगों को ज्यादा तकलीफ हुई।’
जब दिल्ली में यमुना ने मचाया था तांडव
1978 में राजधानी दिल्ली में भयंकर बाढ़ आई थी। कई निचले इलाके पानी में डूब गए थे। लाखों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर जाना पड़ा था। हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया था। खेतों में लगे सैकड़ों एकड़ फसलें खराब हो गई थीं। जान-माल को व्यापक नुकसान पहुंचा था। 1978 में लोहे का पुल के करीब यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर तक पहुंच गया था। इसके बाद 2010 में यमुना का जलस्तर 207.11 मीटर और 2013 में 207.32 मीटर पहुंचा था। उस दौरान भी निचले इलाके पानी में डूब गए थे। 1978 में तो रिहायशी इलाकों में लोगों के घर आधे तक पानी में डूब गए थे। सड़कों पर नाव चल रही थी। इस साल नोएडा में भी बाढ़ जैसे हालात बन गए थे।
2010 में भी हो गए थे बुरे हालात
2010 में जब यमुना के पानी का स्तर 207.11 पहुंचा था तो कई इलाकों में पानी भर गया था। संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा था। कई निचले इलाके तो काफी दिनों तक जलमग्न रहे थे। 2010 में यमुना में पानी का स्तर काफी ज्यादा था। इस साल भी दिल्ली के कई इलाके डूब गए थे। हालांकि, एक अच्छी बात ये हुई थी कि सालों से मैली दिल्ली की यमुना बाढ़ के पानी से साफ हो गई थी।
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