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बद्दी में नकली दवा बनाने वाली कंपनी के मालिक की जमानत याचिका रद्द
Bail Plea Of Owner Of Fake Drug Manufacturing Company In Baddi Rejected: शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने औद्योगिक क्षेत्र (Fake Drug Manufacturing Company In Baddi) बद्दी में नकली दवा बनाने वाली कंपनी के मालिक की (Bail Plea Rejected) जमानत याचिका रद्द कर दी। न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारी मात्रा में घटिया-नकली दवाओं की बरामदगी अपराध की गंभीरता को बयां करती है और अगर प्रार्थी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा कि ऐसा अपराध करने के बाद भी आवेदक समाज में खुलेआम घूम रहा है। कोर्ट ने जमानत याचिका रद्द करने का एक और कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि नकली दवाओं का उन लोगों पर प्रभाव, जो आशा और विश्वास में उनका सेवन करते थे, को अभी की परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
6 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था
कोर्ट ने कहा कि सरकारी विश्लेषक, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला चंडीगढ़ की रिपोर्ट भी अपराध की गंभीरता के बारे में बहुत कुछ कहती है। कोर्ट ने कहा कि आवेदक को जमानत पर रिहा करने से अन्य दवा निर्माताओं को भी आसान पैसा कमाने के लिए घटिया/नकली दवाएं बनाने/विपणन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। मामले के अनुसार प्रार्थी अवेंद्र शुक्ला ने उसे ड्रग्स इंस्पेक्टर बद्दी द्वारा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 की विभिन्न धाराओं के तहत पंजीकृत मामले में जमानत पर रिहा करने के लिए जमानत याचिका दायर की थी। उसे 6 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था।
प्रार्थी फर्जी फर्म के नाम से नकली और घटिया दवाओं के निर्माण में लिप्त
जांच एजेंसी के अनुसार 27 जनवरी 2023 को लाइसेंस की समाप्ति के बावजूद बद्दी स्थित मेसर्स ग्लेनमार्क हेल्थकेयर (M/s Glenmars Healthcare, Baddi) एलोपैथिक दवाओं का कारोबार कर रही थी और प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, बरामद दवाएं घटिया/नकली गुणवत्ता की पाई गईं। शिकायतकर्ता के अनुसार उक्त परिसर से भारी मात्रा में दवाइयां, यानी एमोक्सस-500 कैप्सूल (69 बक्से), डॉक्सटिल-200 टैबलेट (79 बक्से), एमईएफ 200 टैबलेट (100 बक्से), जैथ्रॉन-500 टैबलेट (26 बक्से), रॉक्सिम-500 कैप्सूल (66 बक्से) और एम्पीसिलीन-500 कैप्सूल (19 बक्से) बरामद किए गए थे। इसके इन दवाओं को जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया और विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार उपरोक्त पांच दवाओं में वास्तविक सामग्री का प्रतिशत 00.00% था, जबकि एक उल्लिखित दवा में यह 83.71% पाया गया। जांच एजेंसी ने कथित तौर पर पाया कि मेसर्स ग्लेनमार्क हेल्थकेयर से बरामद दवाएं नकली प्रकृति की हैं और प्रार्थी फर्जी फर्म के नाम से नकली और घटिया दवाओं के निर्माण में लिप्त हैं।
-कुलभूषण खजूरिया