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बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को खोल दिया था आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता
Last Updated on April 27, 2023 by sintu kumar
नई दिल्ली। 1994 में हुई डीएम जी कृष्णैया (DM Krishnaiya) की हत्या के मामले (Murder Case) में जेल में बंद बिहार (Bihar) के बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) वीरवार को आज रिहा हो गए। आनंद मोहन के रिहाई के आदेश के बाद से ही बिहार में राजनीतिक घमासान मचा है। रिहाई को कुछ पार्टियां गलत बता रही हैं लेकिन राज्य के मुख्य दल बीजेपी (BJP) के कुछ नेता रिहाई काे सही बता रहे हैं। असल में आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता बिहार सरकार (Bihar gOVT) ने इसी साल 10 अप्रैल को ही बिहार सरकार ने खोल दिया था लेकिन तब किसी को अंदाजा नहीं था कि इस फैसले के बाद सबसे पहले बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई होगी।
रेमिशन पाॅलिसी ने खोला आनंद मोहन की रिहाई का दरवाजा
आनंद मोहन जैसे दोषियों की सजा को अगर कम या माफ करना है तो उसके लिए रेमिशन पाॅलिसी (Remission Policy) की जरूरत होती है। किसी भी अपराधी की सजा को कम करने के लिए बनी ये पॉलिसी ही आनंद मोहन की रिहाई की मददगार बनीं। इस पॉलिसी में राज्य सरकार किसी की भी सजा (Punishment) को कम कर सकती है। हालांकि इस पॉलिसी में सजा को माफ या कम किए जाने से पहले काफी विचार विमर्श किया जाता है और कैदियों के व्यवहार का आकलन भी होता है।
कैसे मिली आनंद मोहन को रिहाई
रेमिशन पॉलिसी में हर राज्य का अलग कानून होता है। दुष्कर्म और जघन्य अपराध करने वालों को कई राज्यों में सजा में कोई छूट नहीं दी जाती है। बिहार में सरकारी ड्यूटी पर तैनात कर्मी की हत्या के दोषी को सजा में कोई छूट नहीं दी जाती है। बिहार सरकार ने इसी कानूनी पेंच को हटाते हुए आनंद मोहन और 26 अन्य दोषियों की रिहाई का रास्ता साफ किया।
10 अप्रैल को हटा दिया था वो जिससे छूटा आनंद मोहन
असल में नीतीश सरकार ने इस 10 अप्रैल को बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम 481 (1) (क) को ही हटा दिया। अगर ये नियम रहता तो इस नियम के मुताबिक सरकारी कर्मचारी की हत्या में किसी भी दोषी की उम्रकैद (Life Imprisonment) की सजा 20 साल से पहले माफ नहीं हो सकती है। लेकिन बिहार सरकार ने इस नियम को पहले ही हटा दिया।
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केंद्र कोई कदम नहीं उठा सकता
ऐसे दोषियों की रिहाई और सजा में कमी को लेकर केंद्र सरकार (Central Govt) कोई कदम नहीं उठा सकती है। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकारें अपने अपने राज्यों के लिए जेल मैन्युअल बनाती है। इसलिए केंद्र सरकार सिर्फ रिहाई पर रोक की सलाह दे सकती है।
रिहाई के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका
आनंद मोहन की रिहाई के साथ ही इस रिहाई के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में एक जनहित याचिका दायर हो चुकी है। याचिका में दलील दी गई है कि बिहार सरकार द्वारा कानून में संशोधन गैरकानूनी है। इस फैसले से लोक सेवकों की जान को खतरा भी महसूस हो सकता है।
भाजपा नेता ने भी रिहाई को बताया सही
भाजपा नेता गिरिराज सिंह (Bjp Leader Giriraj Singh) ने भी रिहाई को सही बताया। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को बली का बकरा बनाया गया था। बिहार की गठबंधन सरकार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) ने जहां आनंद मोहन की रिहाई को कानूनी रूप से लिया गया फैसला बताया है।
दबंग राजपूत माने जाते हैं आनंद मोहन
आनंद मोहन का दिसंबर 1994 में गोपालगंज (Gopalganj) के डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या मामले में नाम सामने आया था। 2007 में उन्हें फांसी की सजा मिली थी। लेकिन बाद में आनंद की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। बता दें कि आनंद मोहन को अपने इलाके का दबंग राजपूत नेता माना जाता है।
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