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बीजेपी के संजय ने पूछा, ऊना-हमीरपुर में स्टोन क्रेशर चालू , फिर कांगड़ा में क्यों बंद
धर्मशाला। बीजेपी के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी संजय शर्मा (Sanjay Sharma) ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बाढ़ की आड़ में कांगड़ा (Kangra) के ऊपर एक बार फिर तुष्टिकरण की नीति अपना रही है और यहां के विकास कार्यों को प्रभावित कर रही है। हाल ही में सरकार द्वारा ब्यास के किनारे लगे स्टोन क्रशरों (Stone Crushers)को बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन कांगड़ा जिला के अंदर सब के सब स्टोन क्रशर बंद कर दिए गए, साथ ही बिजली के कनेक्शन भी काट दिए गए। जबकि ऊना, हमीरपुर इत्यादि जिलों के स्टोन क्रशर चालू रखे गए ताकि कांगड़ा में हो रहे विकास कार्यों के लिए बजरी-रेत इत्यादि दूसरे जिलों के स्टोन क्रशरों से महंगी दरों पर यहां के लोगों को मिले और सरकार के चाहते स्टोन क्रशरों के मालिक उसका दोगुना लाभ उठा सके।
अवैध व अवैज्ञानिक तरीके से खनन करने वालों पर कसना चाहिए शिकंजा
सीएम के गृह क्षेत्र में क्रशर चालू है, जबकि बाकी जगह बंद कर दिए गए। होना तो यह चाहिए था की जो स्टोन क्रशर अवैध व अवैज्ञानिक तरीके से सामग्री निर्माण कर रहे हैं, उनके ऊपर कार्रवाई की जाती और जो क्रशर मालिक अवैध खनन (Illegal mining) में संलिप्त हैं, उन पर कानूनी कार्रवाई की जाती, लेकिन एक तरफा निर्णय लेना किसी को भी समझ नहीं आया है। अगर निर्णय लेना ही था तो फिर पूरे प्रदेश के लिए एक समान निर्णय लिया जाता । सरकार बताएं कि क्या सोलन सिरमौर, ऊना, हमीरपुर इत्यादि में सब क्रशर कायदे कानून के अंतर्गत चल रहे हैं ? क्या वहां पर अवैध खनन नहीं हो रहा है ? क्या उद्योग मंत्री के क्षेत्र में सब स्टोन क्रशर नियम के अनुसार काम कर रहे हैं ? पिछले दिनों पौंग डैम से पानी छोड़े जाने से आई बाढ़ का का जायजा लेने के लिए डिप्टी सीएम आए थे और लोगों ने उनके सामने ही खड़े कांग्रेस के एक पूर्व विधायक व वरिष्ठ नेता के ऊपर उनके क्रशर के लिए किए गए अवैध खनन का मामला उठाया था सरकार बताएं कि उनके ऊपर क्या एक्शन सरकार ने लिया ?
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महंगी निर्माण सामग्री के चलते घर नहीं बनवा पा रहे लोग
संजय ने कहा कि कांगड़ा जिला के अंदर जिन लोगों के घर बरसात के कारण गिर गए हैं या नुकसान पहुंचा है। वह उनका निर्माण नहीं करवा पा रहे हैं क्योंकि महंगी निर्माण सामग्री उनकी पहुंच से बाहर है। सड़कों व पुलों के काम रुक गए हैं क्योंकि ठेकेदार दूसरे जिलों से महंगी दरों से समान नहीं लेना चाहते। जो निर्णय सरकार को लेना चाहिए था उसमें वह नाकाम साबित हो रही है। प्रदेश के अंदर आई आपदा के लिए सरकार जिम्मेदार पन विद्युत परियोजनाओं (Power Projects)के प्रबंधकों के ऊपर कोई भी कार्रवाई करने से कतरा रही है क्योंकि यह कंपनियां अपनी गलती को छुपाने के लिए आपदा राहत कोष में धन दे रही हैं और उसी की आड़ में बचना चाह रहे हैं और सरकार मुख्य दर्शक बनी हुई है या फिर जानबूझकर के अपने निजी हितों को साधने लिए उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि इस सरकार के बनते ही पहले प्रदेश में सीमेंट से संबंधित विवाद खड़ा हो गया जिसके चलते प्रदेश की जनता को दो महीने से भी अधिक समय तक दूसरे प्रदेशों से महंगा सीमेंट खरीदना पड़ा और अब रेत बजरी की कमी से सामना करना पड़ रहा है। सरकार को इस विषय के ऊपर तुरंत निर्णय लेकर के फैसला करना चाहिए और जो स्टोन क्रशर नियम और कानून के दायरे में रहकर काम कर रहे हैं उन्हें तुरंत प्रभाव से खोलने की अनुमति देनी चाहिए।