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ब्लूम्स सोसायटी ने फर्जी दस्तखत से हाईकोर्ट को किया गुमराह, FIR के आदेश
विधि संवाददाता/शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने बीएड और डीएलएड (Bedc And DLED) की सीटों को भरने के लिए छात्रों को स्पॉन्सर (Sponsor) करने की मांग से जुड़े मामले में ब्लूम्स एजुकेशन सोसाइटी (Blooms Educcation Society) को दी अंतरिम राहत वापिस ले ली है। कोर्ट ने पाया कि सोसाइटी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हाईकोर्ट को गुमराह किया और अपने पक्ष में कोर्ट से अंतरिम राहत ली। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने पुलिस अधीक्षक मंडी को आदेश दिए हैं कि वह ब्लूम्स एजुकेशन सोसाइटी प्रबंधन व अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज (FIR) करें जो इस प्रकरण में शामिल थे। कोर्ट ने इसके अलावा पुलिस अधीक्षक मंडी को यह स्पष्टीकरण कोर्ट के समक्ष देने को कहा है कि उन्होंने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की, जबकि 29 नवंबर 2023 को सरदार पटेल विश्वविद्यालय (SPU) की ओर से इस बाबत उनके समक्ष शिकायत दर्ज कर दी थी।
कोर्ट ने 22 नवंबर 2023 को सरदार पटेल यूनिवर्सिटी को यह आदेश जारी किए थे कि वह प्रार्थी संस्थान बीएड व डीएलएड की कॉउंसलिंग (Counselling) के लिए विद्यार्थियों को उनकी इच्छा के मुताबिक पार्टिसिपेट करने का मौका दे। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि उनका दाखिला याचिका पर होने वाले अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। 22 नवंबर 2023 के अंतरिम आदेश (Interim Order) पारित होने के पश्चात सरदार पटेल यूनिवर्सिटी ने प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन दायर कर अंतरिम आदेशों को रद्द करने के आदेश जारी करने की गुहार लगाई थी। सरदार पटेल यूनिवर्सिटी की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष यह दलील दी गई थी कि प्रार्थी संस्थान ने अंतरिम आदेश प्राप्त करने के लिए कोर्ट से धोखाधड़ी (Fraud) की। जो दस्तावेज याचिका के साथ लगाया गया है वह विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षर (Fake Signature) कर तैयार किया गया है और इस बाबत विश्वविद्यालय की ओर से प्रार्थी संस्थान के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए शिकायत भी दर्ज की जा चुकी है।