-
Advertisement
11 साल की उम्र में खो दिए मां-बाप, रेहड़ी पर काम कर ऐसे बदली किस्मत
नई दिल्ली। लोगों की जिंदगी में बहुत मुसीबत आती है, लेकिन कई लोग इनको पीछे छोड़कर जिंदगी में आगे बढ़ते हैं और मिसाल कायम करते हैं। ऐसी ही मिसाल कायम की गोविंद ने। वह केवल 11 साल के थे, जब उसने अपने माता-पिता को खो दिया। उनकी टीबी से मौत हो गई थी। नंदी फाउंडेशन की मदद से उन्होंने पढ़ाई की और अब वह एक प्रसिद्ध परिधान स्टोर में काम कर रहा है। अब वह किराए के घर में रहने के लिए और अपने भाई-बहनों को अनाथालय (Orphanage) से बाहर निकालने के लिए पैसा बचाने की कोशिश कर रहा है। गोविंद की प्रेरणादायक कहानी को सोशल मीडिया पर नंदी फाउंडेशन द्वारा साझा किया गया है। बिजनेस टाइकून आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने भी इसकी काफी तारीफ की है। महिंद्रा, जो नंदी फाउंडेशन के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं उन्होंने ट्वीट में गोविंद की प्रशंसा की। उन्होंने अपनी कहानी साझा करते हुए लिखा, ‘लोग जो उठते हैं!’
यह भी पढ़ें: 26 सितंबर से होगा IPL का आयोजन! मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भी जताई उम्मीद
People who RISE! https://t.co/tyLuirGNZo
— anand mahindra (@anandmahindra) June 15, 2020
11 साल की उम्र में, गोविंद के माता-पिता की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उन्हें एक रेहड़ी पर काम करना पड़ा, क्योंकि उनके सिर पर अपने छोटे भाई-बहन की जवाबदारी थी। सौभाग्य से एक बाल कल्याण संगठन ने उन्हें गोद लिया और एक स्कूल में दाखिला दिलाया जहां उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की बाद में उन्हें चंडीगढ़ के एक महिंद्रा प्राइड स्कूल में दाखिला मिला, जो फाउंडेशन द्वारा संचालित है। महिंद्रा प्राइड स्कूल 2007 में सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित युवाओं को भर्ती करने और प्रशिक्षित करने और कॉर्पोरेट नौकरी खोजने में मदद करने के लिए एक जगह के रूप में शुरू किए गए थे। गोविंद को तीन महीने के लिए रिटेल में प्रशिक्षित किया गया और लाइफस्टाइल स्टोर में रखा गया, जो एक कपड़े और एक्सेसरीज़ ब्रांड है। वो अब किराए के घर के लिए पैसा बचा रहा है ताकी वो अपने भाई-बहन को अनाथालय से निकाल पाए और साथ रख पाए।