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Cash से करते हैं लेनदेन-जान लें ये नियम वरना, Tax वाले पहुंच जाएंगे घर
डिजिटल युग में कैश की बात करना कुछ अटपटा सा लगने लगता है। हालांकि, कुछ लोग अभी भी कैश की ही बात करते हैं। मतलब कैश (Cash) से लेनदेन में विश्वास रखते हैं,आपको ये पता होना चाहिए कि अलग-अलग काम के लिए एक लिमिट तक ही कैश का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर उस लिमिट को पार किया तो कोई भी व्यक्ति टैक्स विभाग (Tax Department) के रडार (Radar) पर आ सकता है।
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अगर एक वित्त वर्ष में (Financial Year) एक बैंक के सिंगल या मल्टीपल अकाउंट में दस लाख से ज्यादा कैश जमा किए जाते हैं तो बैंकों (Bank) को इसकी जानकारी शेयर करनी पडती है। इसमें करेंट व टाइम डिपॉजिट को शामिल नहीं किया जाता है। अगर कोई क्रेडिट कार्ड बिल जमा करने के लिए एक लाख से ज्यादा कैश इस्तेमाल करता है तो उसकी भी जानकारी बैंकों को शेयर करनी होगी। गुडृस या सर्विस के लिए दो लाख से ज्यादा नकद लिया जाता है तो इसकी जानकारी भी शेयर करनी होती है। ऐसे मामलों में टैक्स ऑडिट की जरूरत होती है। इस तरह के तमाम (Transactions) ट्रांजैक्शन सेक्शन 611 के तहत आते हैं।
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आपको ये ध्यान रखना होगा कि बीस हजार रुपए से ऊपर कैश में लोन ना तो लिया जा सकता है ना ही दिया जा सकता है। कैश में दो हजार रुपए से ज्यादा का चंदा या दान नहीं दिया जा सकता है। दो लाख रुपए से ऊपर कैश में कोई खरीदारी नहीं कर सकते हैं। पचास हजार रुपए से ऊपर की रकम फॉरेन एक्सचेंज (Foreign Exchange) में जाकर नहीं ले सकते हैं। दस हजार रुपए से ऊपर बिजनेस के लिए कैश में खर्च करने पर रकम को आपके मुनाफे की रकम में जोड़ लिया जाएगा। पांच हजार रुपए से ज्यादा कैश में मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट नहीं है। बैंक से दो करोड़ से ज्यादा कैश निकालने पर (TDS) टीडीएस लगेगा।