-
Advertisement
#KulluDussehra: भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर में पेश किया गया चंद्राआहुली नृत्य
कुल्लू। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव( International Kullu Dussehra Festival) में भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के साथ अन्य समुदाय के लोग प्राचीन परंपरा का निर्वहन कर रहे है । भगवान रघुनाथ ( Lord Raghunath) के अस्थाई शिविर में विधिवत पूजा-अर्चना का दौर लगातार जारी है । जिसके चलते दशहरा उत्सव( Dussehra festival) में हर दिन शाम के समय आरती के बाद चंद्राआहुली नृत्य की प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। चंद्राआहुली नृत्य में कृष्ण लीला की झलक दिखाई जाती है। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के समक्ष ठाकुर समुदाय ने पारंपरिक वेशभूषा में चंद्राआहुली नृत्य पेश किया।
महेश्वर सिंह ने बताया कि भगवान रघुनाथ के आगमन के साथ दशहरा उत्सव में बैरागी समुदाय चंद्राआहुली नृत्य कर प्राचीन परंपराओं का निर्वहन करते है। बदलते समय के साथ चंद्राआहुली नृत्य सिर्फ परंपरा रह गई लेकिन पहले इस में कृष्णलीला की झलक होती थी। बैरागी समुदाय की अगली पीढ़ी को इन पंरपराओं की जानकारी कम ही है। इस नृत्य में कृष्ण भगवान को भी राम भगवान का रूप माना गया है।
उन्होंने कहा कि मणिकर्ण में ब्राह्मण समुदाय के लोग आज भी चंद्राआहुली नृत्य बखूबी करते है और वहां पर छोटे छोटे बच्चे भी चंद्राआहुली नृत्य में भाग लेकर कृष्ण लीला करते है। दशहरा उत्सव के छठे दिन मोहल्ला होता है। इस दिन गवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर में सभी देवी देवता हाजिरी लगाते है, देवमिलन करते है लेकिन इस बार कोरोना के चलते एक दर्जन देवी देवता आए है और कुछ देवी -देवता के फूल लेकर प्रतिनिधि पहुंचे है। जिससे अब तक 35 देवी देवताओ की रजिस्टर में हाजिरी लगी है।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group