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यूक्रेन में डॉक्टरी की पढ़ाई करने क्यों जाते हैं भारतीय, यहां जानें
यूक्रेन में जंग के हालातों के बीच सैकड़ों भारतीय (Indian) वहां फंस हुए हैं। इनमें ऐसे भारतीयों की संख्या भी काफी ज्यादा हैए जो यूक्रेन (Ukraine) डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए पहुंचे थे। यूक्रेन के शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, वहां 18095 भारतीय स्टूडेंट्स (Indian Students) फंसे हुए हैं। इनमें से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स हरियाणा और पंजाब के हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन में बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई के लिए पहुंचते हैं। भारत के मुकाबले यूक्रेन में एमबीबीएस करना ज्यादा सुविधाजनक है। भारतीय स्टूडेंट्स मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्यों पहुंचते हैं और उन्हें किस तरह से फायदा मिलता है, जानिए इसकी बड़ी वजह
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यहां के MBBS की दुनियाभर में मान्यता
यूक्रेन से किए जाने वाले एमबीबीएस की दुनियाभर में मान्यता है। इंडियन मेडिकल काउंसिल (Indian Medical Council), वर्ल्ड हेल्थ काउंसिल, यूरोप और यूके में यहां की डिग्री की वैल्यू है। इस तरह यहां से एमबीबीएस करने वाले स्टूडेंट्स को दुनिया (World) के ज्यादातर देशों में काम करने का मौका मिलता है। भारतीय स्टूडेंट्स के यूक्रेन से एमबीबीएस करने की यह भी एक बड़ी वजह है।
भारत के मुकाबले पढ़ाई सस्ती
भारत के प्राइवेट संस्थानों (Private Institutions) में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सालाना 10 से 12 लाख रुपए फीस ली जाती है। करीब 5 साल तक एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट्स को 50 से 60 लाख रुपए तक फीस चुकानी पड़ती है, जबकि यूक्रेन में ऐसा नहीं है। यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सालाना 4 से 5 लाख रुपए की जरूरत होती है। यानी 5 साल तक पढ़ाई पूरी करने का कुल खर्च भारत के मुकाबले काफी कम है।
नीट क्वालिफाई करना जरूरी
देश में एमबीबीएस में दाखिले के लिए नीट का आयोजन किया जाता है। परीक्षा (Exam) में मिले अंकों के आधार पर स्टूडेंट्स को सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन दिया जाता है। भारत में दाखिले के लिए नीट का स्कोर काफी मायने रखता है, जबकि यूक्रेन में स्टूडेंट्स का नीट क्वालिफाई करना ही बड़ी शर्त है। अंक उतने मायने नहीं रखते, इसलिए भी भारतीय स्टूडेंट्स एमबीबीएस के लिए यूक्रेन का रुख करते हैं।
भारत में एमबीबीएस की सीटें कम
एमबीबीएस करने वाले एक स्टूडेंट का कहना है कि भारत में एमबीबीएस के लिए जितनी भी सीटें हैं, उससे कई गुना अधिक स्टूडेंट्स नीट परीक्षा में बैठते हैं। सीटों की कमी के कारण जो स्टूडेंट्स यहां दाखिला नहीं ले पाते हैं, उनके पास यूक्रेन का विकल्प रहता है। यूक्रेन से एमबीबीएस करने वाले ऐसे स्टूडेंट्स (Students) की संख्या भी कम नहीं है।
यूक्रेन का इंफ्रास्ट्रक्चर भी एक बड़ी वजह
यूक्रेन में मेडिकल (Medical) की पढ़ाई कर रहे है एक स्टूडेंट का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में यूक्रेन बेहतर है, इसलिए भी यहां स्टूडेंट्स पहुंचते हैं। हालांकि भारत की तरह यहां भी बेहतर प्रैक्टिकल एक्सपोजर मिलता है। इस तरह यूक्रेन में एमबीबीएस करने की कई वजह हैं, जिसे स्टूडेंट्स अपनी स्थिति के मुताबिक तय करते हैं।