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हिमाचल में सुख आश्रय योजना लागू, 2466 निराश्रित बच्चों के संरक्षक बने सीएम
शिमला। हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) मंगलवार को राज्य के 2466 निराश्रित बच्चों के संरक्षक (Patron Of The Destitute Children) बन गए। यहां के रिज मैदान पर उन्होंने ऐलान किया कि ये बच्चे कभी खुद को निराश्रित न समझें। सीएम सुक्खू और मेरी पूरी सरकार आप साथ है। कार्यक्रम में उपस्थित 900 बच्चों की मौजूदगी में सीएम ने इन बच्चों को 4.68 करोड़ रुपए की राशि बांटी। सुक्खू ने कहा कि यह अपने पालकों को खो चुके बच्चों के प्रति दयाभाव नहीं, बल्कि उनका हक है।सीएम ने कहा कि हिमाचल सरकार ने पूरे देश के सामने यह उदाहरण पेश किया है कि वह कानून के तहत निराश्रित बच्चों को उनका अधिकार (Providing The Rights ) दे रही है। उन्होंने 30 बच्चों को कार्यक्रम में एडवांस लैपटॉप (Advance Laptop) बांटे। अगले 3-4 दिन में 11वीं और 12वीं की पढ़ाई कर रहे राज्य के 298 बच्चों को भी लैपटॉप दिए जाएंगे।
क्या है सुख आश्रय योजना और क्या फायदा मिलेगा
सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत राज्य में ऐसे 2 हजार 700 बच्चों की पहचान की गई है, जो अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं।
- इन बच्चों को सरकार 27 साल की उम्र तक हर महीने 4000 रुपए की पॉकेट मनी (Pocket Money) देगी, यानी सालभर में 48 हजार रुपए दिए जाएंगे।
- सरकार 12वीं के बाद इन बच्चों की पीएचडी तक की पढ़ाई तक का खर्च उठाएगी।
- योजना के तहत बच्चों की कोचिंग और स्वरोजगार के लिए आर्थिक मदद भी सरकार देगी।
- बच्चों को कपड़े खरीदने के लिए भी हर साल 10 हजार की राशि उपलब्ध करवाई जाएगी।
- स्वरोजगार के लिए सरकार निराश्रित बच्चों को 2 लाख रुपए की मदद उपलब्ध करवाएगी। सीएम ने मंगलवार के कार्यक्रम में ही 3 बच्चों को दो-दो लाख रुपए की राशि प्रदान की।
- योजना के तहत निराश्रित बच्चों को साल में 15 दिन एक्सपोजर टूर की सुविधा मिलेगी। इसमें बच्चे रेल और हवाई यात्रा (Rail And Air Travel) का मजा लेंगे और तीन सितारा होटल में रहेंगे।
शपथ लेने के बाद अनाथालय गया था
सीएम ने कहा कि उन्होंने इसी रिज मैदान पर शपथ लेने के बाद बजाय सचिवालय जाने के, पहले अनाथालय (Orphanage) गए। उस दिन मैंने बच्चों से कई चीज सीखी। बच्चों से कोई बात तो नहीं हुई, लेकिन उन्होंने उनके मन को पढ़ लिया। उसी दिन यह निश्चय कर लिया था कि निराश्रित बच्चों के लिए कुछ बड़ा करना है।
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मिला चिल्ड्रन ऑफ स्टेट का दर्जा
सुक्खू ने कहा कि कानून के तहत हिमाचल प्रदेश के सभी निराश्रित बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’ (Children Of State) का दर्जा दिया गया है। ऐसे बच्चों की माता-पिता सरकार ही है। उन्होंने कहा कि 10 महीने में कई बैठकों के बाद इस योजना को आज ग्राउंड जीरो पर लागू किया जा रहा है।