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करुणामूलकों आश्रितों के मामलों को सुलझाने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित होगी कमेटी
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज 5वां दिन है। सदन की कार्यवाही आज प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई। सदन में सबसे पहले करुणामूलक आश्रितों को एकमुश्त नौकरी देने का मामला उठा। सीएम जयराम ने कहा कि करुणामूलकों मामलों से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए सरकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाएगी जिसमें इनकी सभी समस्याओं का निपटारा होगा। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, विधायक प्रकाश राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, पवन कुमार काजल, रामलाल ठाकुर ने सरकार से पूछा कि करुणामूलक आश्रितों को सरकार कब तक नौकरी दे देगी और भर्तियों में 5 फीसदी आरक्षण को बढ़ाने और एकमुश्त नौकरी देने को लेकर सरकार क्या कदम उठा रही है।
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सीएम जयराम ठाकुर ने बताया कि हिमाचल सरकार ने जो नीति बनाई है उसको हमारी सरकार ने गंभीरता से लिया है। 7 मार्च 2019 को संशोधित नीति को लागू किया है। पहले 50 वर्ष आयु की लिमिट रखी गई थी, इसमें मानवीय दृष्टिकोण नहीं था। इसलिए हमने संशोधन किया कि यदि अंतिम दिन भी किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिजन भी करुणामूलक आधार पर नौकरी के पात्र होंगे। दूसरा आय सीमा को 2.5 लाख किया है। जुलाई 2019 तक 4 हजार 40 मामले थे। 2779 पेंडिंग एप्लीकेशन ही बची हैं। 5 प्रतिशत टोटल वैकेंसी को बढ़ाने की बात है। आने वाले समय में इसकी गंभीरता को देखते हुए एक कमेटी बनाई जाएगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उसमें सभी बातों पर विचार किया जाएगा। कुछ मामले हाईकोर्ट में गए हैं। एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिवार की पेंशन को भी जोड़ा जाए।
इसके बाद विधायक अर्जुन सिंह ने पूछा कि देहरा-नगरोटा-सुर्रियां-कहरियां-ज्वाली मार्ग जिसकी लंबाई 79 किमी है, इसमें 17 किमी के लिए राशि केंद्र सरकार की तरफ से दी स्वीकृत है और 10 किमी का पैसा मिल गया है। सीएम ने कहा कि ठेकेदार के काम छोड़कर चले जाने के कारण काम में देरी हुई है। अब जल्द निर्माण कार्य जारी किया जाएगा। इसपर होशियार सिंह ने पूछा कि क्या यह सड़क मुख्यमंत्री प्रमुखता योजनाओं में डाली है। इसपर जयराम ठाकुर ने कहा कि अभी इसकी जानकारी नहीं है