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रिज पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठ #Congress विधायकों ने दिया धरना; सरकार पर मढ़ा आरोप
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन एससी/एसटी आरक्षण को प्रदेश में सही ढंग से लागू करने के मसले पर चर्चा करने का मौका ना मिलने के बाद कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी सरकार पर दलित विरोधी, अनुसूचित जनजाति विरोधी और अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी होने का आरोप लगाया। सदन से वॉकआउट करने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक आगे की कार्यवाही के विधानसभा सत्र में शामिल हुए, लेकिन इसके बाद शाम के वक्त रिज मैदान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठकर धरना भी दिया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में सरकार का विरोध कर रहे विधायकों का कहना है कि विधानसभा में एक सुनियोजित ढंग से बेहद मामूली मुद्दों पर चर्चा हो रही है।
जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने की इजाजत नहीं दी जा रही
विपक्षी विधायकों का कहना है कि इस तरह के मामलों पर अधिक समय बर्बाद किया जा रहा है, जबकि गंभीर व प्रदेश में जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने की इजाजत नहीं दी जा रही। बीजेपी सरकार दलित विरोधी, जनजातीय विरोधी व अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी है। कांग्रेस विधायक कर्नल धनीराम शांडिल का इस मसले पर कहना है कि इस सरकार में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं। दलितों व जनजातीय लोगों के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। चोर दरवाजे से जल शक्ति महकमे में भर्तियां हो रही हैं। पिछले रोज प्रदेश के विभिन्न भागों से आए दलित समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव होने से जुड़ा मांग पत्र सीएम को दिया गया। देखते हैं कि बीजेपी सरकार में इस मांग पत्र पर कोई कार्रवाई होती है।
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वहीं, माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा नव उदारवाद के इस दौर में अधिकांश रोजगार आउटसोर्सिंग के माध्यम से दिया जा रहा है। अनुबंध प्रणाली, ठेका प्रथा में रोजगार चला गया है। कुल मिलाकर सरकारी क्षेत्र का निजीकरण हो गया है। इस तरह के माध्यमों से दिया जा रहा रोजगार श्रम कानून के दायरे में नहीं आता है। ना ही संविधानिक प्रावधान लागू होता है। बता दें कि राकेश सिंघा ने ही एससी/एसटी एक्ट ( SC / ST Act)को प्रदेश में सही से लागू न करने के विषय को लेकर सदन में नियम 67 के अंतर्गत स्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की।लेकिन विधानसभा ने प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और चर्चा के लिए समय नहीं दिया। जिस पर कुछ देर के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच तू -तू मैं- मैं भी हो गयी और विपक्ष ने सदन कर अंदर नारेबाजी शुरू कर दी और चर्चा के लिए समय न मिलने पर विपक्ष ने नाराज हो कर सदन से वाकआउट ( Walkout) कर दिया।