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ऊना। जिला ऊना के खड्ड स्थित कोविड केयर सेंटर में उपचाराधीन कोरोना संक्रमित सैनिकों का धैर्य अब टूटने लगा है। करीब 15 दिन से लेकर एक माह तक वहां उपचार ले रहे सैनिकों ने वीडियो वायरल कर कोविड केयर सेंटर (Covid Care Center) की व्यवस्थाओं, प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस कर्मचारियों के उनके प्रति रवैये पर सवाल उठाए हैं। वहीं, उन्होंने कोविड केयर सेंटर में गंदगी के आलम को लेकर भी संस्थान के प्रभारियों को जमकर कोसा। इन सैनिकों (Soldiers) द्वारा बनाया गया वीडियो (Video) सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है, जिसमें उन्होंने कोविड केयर सेंटर की पूरी व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है। उन्होंने कहा कि करीब 9 माह के बाद अपनी परिवारों से मिलने के लिए सेना से एक माह की छुट्टी लेकर आए थे, लेकिन इनमें से कईयों की पूरी छुट्टी पहले क्वारंटाइन केंद्रों और फिर कोविड केयर सेंटर्स में ही बीत गई है।
कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके कई सैंपल फॉलोअप के तौर पर भेजे गए थे जिसमें वो पॉजिटिव पाए गए हैं अब ना ही उन्हें इसकी पूरी रिपोर्ट सौंपी जा रही है और ना ही स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टर्स (Doctors) या अन्य कोई अधिकारी उनसे मिलने आते हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि कोरोनावायरस के उपचार के लिए उन्हें कोई दवाई नहीं दी जा रही है। उन्हें मात्र बी कॉम्प्लेक्स के कैप्सूल और कुछ अन्य दवाएं दे कर काम चलाया जा रहा है। मात्र उनका टेंपरेचर जानने के अलावा कोई भी चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी उनके पास नहीं आता है। इतना ही नहीं कोविड केयर सेंटर के नोडल अधिकारी और यहां तैनात पुलिस कर्मी भी उनके साथ सही व्यवहार नहीं करते हैं। जबकि कोविड केयर सेंटर में सफाई व्यव्यस्था (Cleaning system) बदहाल भी हो चुकी है। वायरल वीडियो के माध्यम से उन्होंने बताया कि उन्हें अपने सेना मुख्यालय में पॉजिटिव की रिपोर्ट भेजकर अपनी छुट्टी बढ़ानी है लेकिन विभाग द्वारा रिपोर्ट ही नहीं दी जा रही है।
वहीं इस बारे में डीसी ऊना (DC Una) संदीप कुमार ने कहा कि कोविड केयर केंद्र में उपचाराधीन सैनिकों को संयम रखना चाहिए। वह धैर्य ना खोएं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 का संक्रमण उनके परिजनों में ना फैले इसी के चलते उन्हें सेंटर में रखा गया है। सेंटर में तैनात सफाई कर्मचारी जितना हो सके अपना योगदान दे रहे हैं। वे पीपीई किटें पहनकर सफाई करते हैं। जबकि उपचाराधीन लोगों को भी सहयोग करना चाहिए, ताकि व्यवस्थाओं को बनाए रखा जा सके। वहीं संक्रमित व्यक्ति भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए संक्रमण से मुक्त हों, ताकि उन्हें जल्द घर भेजा जा सके।
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