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हादसे में पैर खोया पर, दिव्यांगता नहीं होने दी हावी, अब बाइक से इंग्लैंड जाने की तैयारी
Motivational Story : कुछ लोगों की जिंदगी में कई बार ऐसे हादसे हो जाते हैं जो उन्हें दिव्यांगता (Disability) की तरफ धकेल देते हैं। इन परिस्थितियों में कई लोग जीवन जीने की उम्मीद छोड़ देते हैं तो कई सार्वजनिक जीवन (Social Life) से किनारा भी कर लेते हैं। लेकिन वहीं कुछ युवक ऐसे भी होते हैं जो अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने देते उसे ताकत बनाकर कुछ ऐसा कर दिखाते हैं जो शायद एक स्वस्थ व्यक्ति भी न कर सके। आज हम आपको एक ऐसे ही हिमाचली (youth From Himachal) की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने हादसे में अपना एक पैर खो दिया, लेकिन इस हादसे को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया अब इस युवक ने अपनी बाइक पर ही इंग्लैंड (England) जाने की सोची है इससे पहले भी यह युवक, हिमाचल के कई खतरनाक ट्रैक पर सफर कर चुके हैं।
हौसलों की उड़ान, अब तक कई ट्रैक कर चुके हैं पार
25 मई 2012 को एक सड़क हादसे में अपना एक पैर गंवा देने वाले ऊना के मदनपुर निवासी शिवम शर्मा (Shivam Sharma) आज ट्रैकिंग और ड्राइविंग की दुनिया में शानदार ख्याति हासिल कर रहे हैं। हौसले की उड़ान इतनी ऊंची है कि आने वाले दिनों में बाइक पर इंग्लैंड (England) तक का सफर तय करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। एक समय था जब दिव्यांग होने के बाद आसपास के लोग भी शिवम को लेकर तरह-तरह की बातें करते थे और कहीं ना कहीं दिव्यांग होने के चलते उसका जीवन घर की चार दिवारी तक सिमट जाने की बातें कहा करते थे। लेकिन माता-पिता का साथ शिवम के लिए वरदान बना और महज 6 महीने में रिकवर होने के बाद उसने हौसले की उड़ान भरना शुरू कर दिया था। महज एक पैर के सहारे शिवम धर्मशाला के त्रियुंड (Triund of Dharamshala) और कल्लू के बिजली महादेव तक की ट्रैकिंग (Tracking till Bijli Mahadev) कर चुके हैं। शुरू से ही दो पहिया वाहनों की शौकीन शिवम शर्मा हिमाचल प्रदेश सहित उत्तराखंड (Uttrakhand) और राजस्थान (Rajasthan) से कई राज्यों की यात्रा बाइक (Motorcycle) पर कर चुके हैं। आने वाले दिनों में बाइक पर उनका सफर देश की सरहद से पार यूरोप के इंग्लैंड (England of Europe) तक जाने वाला है। जिसके लिए शिवम ने तैयारी शुरू कर दी है।
12 दिन तक कोमा में रहे, परिवार का भरपूर मिला साथ
25 मई 2012 को बीटेक (B.Tech) प्रथम वर्ष के छात्र मदनपुर के शिवम शर्मा किसी काम के चलते बाइक पर सवार होकर ऊना शहर की तरफ आते हैं और शहर में एक वाहन उन्हें टक्कर मार कर उनकी एक टांग को रौंदते हुए मौके से फरार हो जाता है। करीब 35 मिनट तक की युवक सड़क पर पड़ा रहा इसके बाद रास्ते से जा रहे एक व्यक्ति ने शिवम को अस्पताल पहुंचाया। लेकिन तब तक शिवम का बहुत सारा खून सड़क में बह चुका था। जिला मुख्यालय के क्षेत्रीय अस्पताल से पीजीआई रेफर (PGI Chandigarh) किया गया और पीजीआई में उपचार के दौरान शिवम 12 दिन तक कोमा में रहा। जिस दिन शिवम कोमा से बाहर आया तो उसने अपना एक पैर खो दिया था। मुसीबत की इस घड़ी में माता-पिता हौसला बनाकर अपने बेटे के साथ खड़े रहे। टांग के कट जाने के बाद 6 महीने रिकवरी को लगे। 6 महीने का यह अरसा शिवम और उसके परिवार के लिए अनेक उतार-चढ़ाव लेकर आया। इन हालातो में जहां कुछ लोग शिवम को हौसला देने वाले थे तो अधिकतर लोग शिवम के दिव्यांग हो जाने के बाद उसका जीवन घर की चार दिवारी में सिमट जाने की बात कह कर जा रहे थे। रिकवरी के तुरंत बाद शिवम ने अपने एक पैर के सहारे असामान्य जिंदगी जीने का फैसला किया। शुरू शुरू में कृत्रिम टांग के सहारे चलना मुश्किल लगा कई बार घायल हुए। लेकिन हार नहीं मानी।
दोपहिया वाहनों के शौकीन थे शिवम
दिव्यांग होने के बावजूद शिवम ने महज एक कृत्रिम अंग के सहारे ट्रैकिंग और ड्राइविंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी। हिमाचल प्रदेश के दुर्गम ट्रैक्स में से धर्मशाला के त्रियुण्ड और कल्लू के बिजली महादेव का सफर तय किया। हादसा पेश आने से पहले शिवम दोपहिया वाहनों के शौकीन थे। लेकिन दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने अपने इस शौक को मरने नहीं दिया। कृत्रिम पैर के सहारे ही उन्होंने वापस बाइक चलाना शुरु किया। ट्रैकिंग कैंपिंग और ड्राइविंग के शौकीन शिवम ने हिमाचल प्रदेश का कोना-कोना बाइक के सहारे एक्सप्लोर किया। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों को भी दो पहिया वाहन से नाप डाला। आने वाले दिनों में शिवम बाइक पर ही इंग्लैंड तक का सफर तय करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
दिव्यांग जनों के लिए विशेष सीख
निश्चित रूप से शिवम शर्मा हर दिव्यांग व्यक्ति के लिए एक बड़ी मिसाल के रूप में उभर कर सामने आए हैं। शिवम शर्मा का कहना है कि दिव्यांग होने से न तो किसी का जीवन मिट जाता है, न थम जाता है और न ही कोई घर की चार दिवारी में कैद होता है। अपने हौसले को बुलंद रखिए और यही बुलंद हौसला इसी दिव्यांगता के साथ आपके जीवन में बड़े-बड़े मुकाम हासिल करने में आपका सबसे बड़ा सहारा बनेगा। उन्होंने कहा कि जीवन में किसी भी चुनौती का सामना सकारात्मकता के साथ करना चाहिए।
सुनैना जसवाल