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जनजागृति लाने के काम में जुटा ये डॉक्टर, पाठशाला में पढ़ा रहा प्राण रक्षा का पाठ
मध्य प्रदेश के रायपुर यानी छत्तीसगढ़, ग्वालियर, रीवा व सागर चिकित्सा महाविद्यालय में अपनी सेवाएं दे चुके बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ए के रावत अपने साथ एक पुतला लेकर चलते हैं। साथ ही वीडियो फिल्म के जरिए तमाम प्राण रक्षा के लिए किए जाने वाले प्रयासों के बारे में बताते हैं। पिछले दिनों डॉक्टर रावत ने छतरपुर की ग्रीन एवेन्यू आवासी कॉलोनी में शिक्षित युवाओं की पाठशाला लगाई थी।
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डॉक्टर रावत का कहना है कि जब भी सड़क हादसा हो तो लोगों को पीड़ित की मदद के लिए आगे आना चाहिए। हादसे में घायल हुए लोगों की प्राण रक्षा में मौके पर मौजूद लोग बड़े मददगार हो सकते है। उन्होंने कहा कि लोगों को सबसे पहले तो 108 को कॉल करनी चाहिए और उसके बाद अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि पहले मदद करने वाला स्थान के हालात को देखे और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए घायल अचेत हो चुका है तो इसके लिए उसके शरीर को थपथपाएं। साथ ही नाड़ी और स्वांस प्रक्रिया को देखे। इसके बाद अगर वह देखता है कि दिल कीधड़कन नहीं चल रही है और सांस भी धीमी है तो सीने को तीस बार हाथ से दबाएं और 2 बार मुंह से सांस दें, फिर तीस बार सीने को दबाएं और मुंह से सांस दें। इस प्रक्रिया को पांच मिनट तक जारी रखें। ऐसा करने से धड़कन बढ़ने और स्वांस प्रक्रिया में इजाफा होने की संभावना होती है।
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