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क्या भारत को भी है बूस्टर डोज की जरूरत, आइए समझते हैं
नई दिल्ली। किन देशों में बूस्टर डोज दिया जा रहा है? किसे दिया जा रहा है? क्या कोरोना को रोकने में बूस्टर डोज कारगर है? और सबसे मेन सवाल क्या भारत को भी बूस्टर डोज की जरूरत है? आइए इस बात को हम तसल्ली से समझते हैं।
कोरोना (Corona) ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया। कई महीनों के बाद दुनिया भर के कई देशों के वैज्ञानिकों ने अथक प्रयासों से इस महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन बनाई। भारत (India) में भी वैक्सीन बनी। और भारत में वैक्सीनेशन का यह अभियान 15 जनवरी से शुरु हुआ।
दुनिया भर में भी वैक्सीन आने पर दनादन वैक्सीन लगने शुरु हो गए। अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई विकसित देशों ने ससमय कोरोना वैक्सीन से अपने देश की लगभग पात्र आबादी को पूरी तरह से वैक्सीनेट कर दिया। अब वे कोरोना के बूस्टर डोज दे रहे हैं।
भारत सरकार जल्द जारी कर सकती है गाइडलाइन
भारत सरकार भी जल्द ही बूस्टर डोज को लेकर गाइडलाइन जारी कर सकती है। कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख सदस्य डॉ. एनके अरोरा ने एक अखबार से बात करते हुए ये जानकारी दी है। उनका कहना है अगले 10 दिन में बूस्टर डोज को लेकर गाइडलाइन आ सकती है। इसमें बताया जाएगा कि वैक्सीन का बूस्टर डोज कैसे, कब और किन्हें दिया जाएगा।
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कौन कौन से देश में चल रहा है बूस्टर डोज अभियान
बूस्टर डोज अभियान की शुरुआत यहूदी देश इजराइल ने की। इजराइल ने सबसे पहले अपने नागरिकों को बूस्टर डोज देने शुरु किया। वहीं, दुनिया भर के अलग-अलग 35 देशों में कोमॉर्बिडिटी और अलग-अलग फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए लोगों को कोरोना वैक्सीन का तीसरा डोज दिया जा रहा है।
इनमें अमेरिका, इजराइल, ब्रिटेन, चिली, फ्रांस जैसे देश शामिल हैं। इजराइल जुलाई से ही अपने नागरिकों को वैक्सीन का बूस्टर डोज लगा रहा है। अब तक 40 लाख से भी ज्यादा लोगों को वैक्सीन का तीसरा डोज लग चुका है। अगस्त में केवल 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन का तीसरा डोज दिया जा रहा था, लेकिन फिलहाल 12 से ज्यादा उम्र के लोगों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है।
वहीं, सितंबर महीने में अमेरिका ने बूस्टर डोज का अप्रूवल मिला था। इसके बाद कहा गया था कि दोनों डोज लगवाने के 6 महीने बाद लोग बूस्टर डोज ले सकेंगे। सितंबर में ये केवल फाइजर की वैक्सीन को ही बूस्टर शॉट्स के लिए अप्रूवल मिला था, लेकिन फिलहाल तीन वैक्सीन के बूस्टर शॉट्स लग रहे हैं। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके लोग 2 महीने बाद ही तीसरा डोज भी लगवा सकते हैं। अमेरिका में बूस्टर डोज के लिए वैक्सीन के मिक्स एंड मैच को भी मंजूरी दे दी है। अब तक 2.62 करोड़ लोगों को वैक्सीन का बूस्टर डोज लग चुका है।
ब्रिटेन में मॉर्डना और फाइजर के लग रहे बूस्टर डोज
ब्रिटेन में भी फाइजर और मॉडर्ना के बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं। वहीं, ब्रिटेन में तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। जिसके चलते ब्रिटिश सरकार ने कोरोना गाइडलाइन में बदलाव करते हुए कोमॉर्बिडिटी वाले लोगों के लिए ये अवधि कम कर 5 महीने तक दी है। अब तक 93 लाख से ज्यादा लोगों को बूस्टर डोज दिए जा चुके हैं। वहीं, अमेरिका के पड़ोसी देश कनाडा में भी बूस्टर डोज लगने शुरु हो गए हैं। यहां भी मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन के बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं।
भारत में बूस्टर डोज अभियान को लेकर क्या कहते हैं जानकार
कोरोना मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में वैक्सीनेशन की रफ्तार बीते कुछ महीनों में ही बढ़ी है। इसलिए अभी बूस्टर डोज देने की जरूरत नहीं है। उनका मानना है कि कोरोना वैक्सीन की पूरी डोज लग जाने के बाद यह 12 महीने तक असरदार रहता है। साथ ही भारत में बूस्टर डोज लगना ही चाहिए इसका भी कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है।
जानकारों का कहना है कि शरीर में एंटीबॉडी नहीं होना और कम होना दो अलग-अलग बातें हैं। आपके शरीर में एंटीबॉडी की संख्या समय के साथ भले ही कम हो जाए, लेकिन आपके शरीर के मेमोरी सेल्स वायरस के स्ट्रक्चर को स्टोर कर लेते हैं। अगली बार आपके शरीर में जैसे ही वायरस आता है ये सेल्स वायरस की पहचान कर एंटीबॉडी को काम पर लगा देते हैं।
इसके साथ ही वे इस बात पर जोर देकर कहते हैं कि अभी भारत की ज्यादातर आबादी को वैक्सीन की सिंगल डोज ही लगी है। इसलिए भारत का फोकस अभी बूस्टर डोज के बजाए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने पर होना चाहिए। उनका कहना है कि हेल्थ इमरजेंसी में बड़ी आबादी को ध्यान में रखा जाता है। बूस्टर डोज से केवल सीमित तबका ही प्रोटेक्टेड रहेगा। उनका यह भी कहना है कि कुछ स्पेशल ग्रुप्स को तीसरा डोज दिया जा सकता है।
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