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मंडी की तीनों टॉपरों का सपनाः डाक्टर बनकर करना चाहती है सेवा
वीकुमार/ मंडी। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा के वार्षिक परिणामों में इस बार मंडी जिला की बेटियों ने अपनी कामयाबी का डंका बजाया है। पहले स्थान पर दो छात्राएं हैं और ये दोनों मंडी जिला की रहने वाली हैं जबकि तीसरे स्थान पर भी मंडी जिला की बेटी ने ही कब्जा जमाया है। प्रियंका पुत्री प्रभ दयाल और देवांगी शर्मा पुत्री हितेश शर्मा ने 700 में से 693 अंक लेकर प्रदेश भर में पहला स्थान हासिल किया है। वहीं अंशुल ठाकुर पुत्री महेंद्र सिंह ने 700 में से 691 अंक लेकर तीसरा स्थान हासिल किया है। तीनों बेटियों की इच्छा डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करने की है।
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ग्रामीण डाक सेवक की बेटी है हिमाचल की टॉपर प्रियंका
करसोग उपमंडल के तहत आने वाले धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी में स्थित एसवीएम स्कूल से दसवीं की पढ़ाई करके प्रदेश भर में टॉपर बनने वाली प्रियंका के पिता प्रभ दयाल डाक विभाग में बतौर ग्रामीण डाक सेवक कार्यरत हैं। प्रियंका एक साधारण परिवार से संबंध रखती हैं और पढ़ाई में इनकी विशेष रूची है। प्रियंका ने बताया कि उनका सपना डॉक्टर बनने का है और वे अपने इसी उद्देश्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। रोजाना 4 से 5 घंटे पढ़ाई करती है। प्रियंका अब 11वीं की पढ़ाई सुन्नी स्कूल से कर रही है।
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पिता की मृत्यु के बाद बड़ी बहन से मिली प्रेरणा, टॉपर बन गई देवांगी
मंडी शहर के पुरानी मंडी वॉर्ड निवासी देवांगी शर्मा को टॉपर बनने की प्रेरणा अपनी बड़ी बहन रिधि शर्मा से मिली। 2018 में रिधि शर्मा भी प्रदेश भर में दूसरे स्थान पर रही थी। देवांगी की पढ़ाई एंग्लो संस्कृत मॉडल स्कूल मंडी से हुई है। देवांगी के पिता इसी स्कूल में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत थे, लेकिन 2018 में उनका देहांत हो गया। अब उनके स्थान पर देवांगी की माता अपनी सेवाएं दे रही है और बेटियों की सही ढंग से परवरिश कर रही है। देवांगी ने बताया कि उसका और उसकी बड़ी बहन के बीच पढ़ाई को लेकर हमेशा ही कंपीटिशन चला रहता है और उसी का नतीजा है कि आज उसने टॉप किया है। देवांगी का सपना भी डॉक्टर बनने का है।
माता-पिता शिक्षक, खुद डॉक्टर बनना चाहती है अंशुल ठाकुर
सरकाघाट उपमंडल के एसबीएम मौंहीं की छात्रा अंशुल ठाकुर ने प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल किया है। अंशुल के पिता महेंद्र सिंह और माता नीलम शिक्षक है। पिता सरकारी स्कूल में तैनात हैं जबकि माता उसी स्कूल में पढ़ाती हैं जहां अंशुल खुद शिक्षा ग्रहण कर रही है। अंशुल ने बताया कि उसका सपना अच्छी और बेहतर मेडिकल की पढ़ाई करके डॉक्टर बनने का है।
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