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यूपी में सांप्रदायिक पॉलिटिक्स की एंट्री, जिन्ना और हिंदुत्व पर सेल्फ गोल कर गया विपक्ष!
लखनऊ। दिल्ली दरबार का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर गुजरता है। इस बात को सियासत में रूझान रखने वाला अंतिम पायदान पर खड़ा हर अकेला शख्स भी बखूबी समझता है। यूपी में आगामी 2022 में इलेक्शन होने जा रहे हैं। विकास के नाम पर वोट मांगने का दावा बीजेपी कर रही है। लेकिन यूपी की सियासत की यह तस्वीर पूरे फ्रेम का एक छोटा सा हिस्सा है। पूरे फ्रेम में जातिगत समीकरण और सांप्रदायिक वैमन्स्य का जहर बोया जा रहा है। इस ओर ना सिर्फ बीजेपी, बल्कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत समाजवाद का चादर ओढ़े समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश ने किया, इंटरवल तक कांग्रेस के नेताओं ने पहुंचाया। पिक्चर का क्लाइमेक्स करने में बीजेपी जुट गई है।
कहने को तो यूपी चुनाव में करीबन पांच महीने बाकी है। लेकिन सियासत दान अभी से चुनावी पिच तैयार करने में जुट गएऑ हैं। खासकर बीजेपी हिंदू ध्रुवीकरम करने में पूरी तरह से जुट गई है। और बीजेपी का यह काम पहले की भांति विपक्ष ने इस बार भी आसान कर दिया है। बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है। जिन्ना को मुस्लिम और पाकिस्तान प्रेम से जोड़ा जा रहा है, हिंदुत्व पर विवादित बयान को हिंदुओं के अपमान से। दोनों ही घटनाओं में एक धर्म को पूरी तरह अपने पक्ष में करने की जुगत है। यह बीजेपी का सबसे पुराना और सबसे कारगर तुरुप का इक्का है।
अखिलेश का जिन्ना जिन्न कहीं ले ना डूबे
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले अपना पूरा फोकस कानून व्यवस्था, बेरोजगारी और अपने पुराने काम को लेकर रखा था। लेकिन एक रैली में उनके मुंह से जिन्ना का जिन्न बाहर आ गया। उन्होंने रैली में कहा कि जिन्ना आजादी दिलवाई थी, संघर्ष किया था. जिन्ना का नाम अखिलेश ने सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू जैसी शख्सियतों के साथ जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और जिन्ना एक ही जगह से पढ़कर आए थे। सभी बैरिस्टर भी बने। उन्होंने हमे आजादी दिलवाई थी। हमारे लिए संघर्ष किया था।
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अखिलेश से एक कदम आगे निकले ओपी राजभर
कुछ महीने पहले तक सत्ता से गठजोड़ बनाए रखने वाले सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख अब सपा गठबंधन में आ गए हैं। अखिलेश के जिन्ना वाले बायन से ओत-प्रोत होकर उन्होंने जो बयान दिया, उसने मामले में आग में घी डालने का काम किया। अखिलेश से एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने जिन्ना को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाने वाली बात कह डाली.
राजभर ने कह दिया कि अगर जिन्ना देश के पहले प्रधानमंत्री बनते तो बंटवारा नहीं होता। अपनी बात को मजबूती देने के लिए उन्होंने अडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के बयानों का भी सहारा ले लिया। ऐसे में सपा और उसके सहयोगी साथियों ने स्पष्ट कर दिया कि वे पीछे नहीं हटने वाले हैं।
सीएम ने ओपी और अखिलेश दोनों को जमकर घेरा
सीएम योगी ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी के नेता ने कुछ दिन पहले सरदार पटेल की तुलना जिन्ना से कर दी थी। सरदार पटेल जिन्होंने देश को जोड़ा था, उनकी तुलना देश को बांटने वाले से कर दी गई। जनता को ऐसे शर्मनाक बयानों को खारिज कर देना चाहिए। इन लोगों की मानसिकता समझिए, कैसे हैं ये लोग जो सरदार और जिन्ना को एक साथ जोड़ रहे हैं। सरदार पटेल हमारे राष्ट्रनायक हैं, जिन्ना ने तो भारत को तोड़ दिया था। ये तालिबानी मानसिकता को दर्शाता है।
इसके साथ ही सीएम ने सपा की राजनीति को तुष्टिकरण की राजनीति बताया। वे दो कदम आगे बढ़कर वे इसी के साथ कब्रिस्तान और उसकी दीवारों पर खर्च होने वाले पैसों पर भी बात करते हैं। अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि बीजेपी सरकार अब कब्रिस्तान पर नहीं बल्कि मंदिरों के निर्माण और सौंदर्यीकरण पर पैसा खर्च करती है।
सपा के बाद कांग्रेस ने कर दिया आधा काम
सपा के साथ साथ अब कांग्रेस के नेताओं ने विवादित बयान देकर बीजेपी को चुनावी मौसम में फुलटॉस थमा दिया है। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने एक किताब लिखी है। नाम है- सनराइज ओवर अयोध्या। किताब अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर के ऊपर है। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। कई बारिकियों को भी खूबसूरती से समझा दिया गया है. 421 पेज की किताब है, कई मुद्दों पर विस्तार से बात है लेकिन विवाद सिर्फ एक चैप्टर की एक लाइन पर है। इस चैप्टर में सलमान खुर्शीद ने बिना नाम लिए बीजेपी की राजनीति पर निशाना साधा। ऐसी बात लिख गए कि राजनीति में भूचाल आ गया और कांग्रेस को अपने ही नेता की बातों से खुद को दूर करना पड़ गया।
खुर्शीद ने लिखा है कि हिंदुत्व साधु-सन्तों के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को किनारे लगा रहा है, जो कि हर तरीके से ISIS और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों जैसा है। अब हिंदुत्व के साथ ISIS और बोको हरम को जोड़ना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सेल्फ गोल साबित हुआ है। वहीं, कांग्रेस के ही दूसरे नेता राशिद अल्वी के हिंदुत्व पर दिए एक और बयान एक हिस्से को बीजेपी आईटीसेल जमकर वायरल करने में जुटी हुई है। वायरल हिस्सा से लोग आगबबूला हो रहे हैं।
क्या है बीजेपी का गुणा भाग
बीजेपी पूरी तरह यूपी के सियासी समीकरण भली भांति समझती है। अगर सपा-बसपा-कांग्रेस और AIMIM जैसे दल मुस्लिम वोटबैंकप पर खासा जोर दे रहे हैं तो वहीं बीजेपी भी पचास प्रतिशत वाली लड़ाई खेल रही है। सीएसडीएस और राष्ट्रीय जनगणना के मुताबिक यूपी में अनुसूचित जाति 21.1% है, अनुसूचित जनजाति 0.1%, हिंदू ओबीसी 41.47%, हिंदू सामान्य वर्ग 18.92% है। ऐसे में ओबीसी मतों को अपने पक्ष में करना किसी भी पार्टी को सत्ता पर काबिज कर सकता है। 2017 में बीजेपी ने 47 प्रतिशत ओबीसी वोट हासिल किए थे। इस बार भी उस अजय फॉर्मूले को अमलीजामा पहनाने की तैयारी है। बस इस काम में बीजेपी को जिन्ना, तालिबान, बोको हराम जैसे बयानों से भी पूरी मदद हासिल हो रही है।