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यहां पति की मौत के बाद विधवा नहीं होती महिला
Last Updated on May 31, 2021 by Sintu Kumar
आपने हमेशा से देखा और सुना होगा कि पति के मरने के बाद महिलाएं विधवा हो जाती है और फिर उसी तरह अकेले पूरी उम्र जीवन काट लेती हैं। आज हम जिस गांव की बात करने वाले हैं वहां ऐसा नहीं होता। दुनिया में शायद ये एकमात्र गांव होगा जहां कि महिलाएं पति की मौत के बाद भी कभी विधवा नहीं होती हैं। कारण सीधा है कि पति की मौत के बाद महिला की दूसरी शादी करवा दी जाती है। ये प्रथा कहीं और नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के बिहंगा गांव में प्रचलित है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पति की मौत के बाद महिला बेसहारा ना रह जाए, उसकी शादी कर दी जाती है। ये गांव अपने आप में रूढ़िवादी सोच से अलग एक अनोखी विधा का निर्वहन कर रहा है। बिहंगा गांव की एक अलग ही कहानी है जो दुनियाभर में मशहूर है। इस अनोखे गांव में महिलाओं के विधवा होने की प्रथा ही नहीं हैं। यहां गोंड जनजाति की महिलाओं के लिए अलग ही तरह की परंपरा चलती हैं। यहां पति के मरने के बाद जरूरी नहीं कि घर में देवर या जेठ ही तभी शादी होगी। इस जनजाति में अगर शादी लायक नाती-पोते भी होते हैं तो भी उनकी महिला से शादी करवा दी जाती हैं ये वो महिला होती है जिसके पति की मौत हो जाती है। उसे विधवा होने का बोझ ना ढोना पड़े इसलिए उसकी शादी करवाई जाती है। यदि यहां कोई पुरुष शादी करने से इंकार कर देता हैं या फिर कोई पुरुष नहीं होता हैं, तो यहां एक अन्य प्रकार की रीत अपनाई जाती हैं। पति के मरने के दस दिन बाद दूसरे घरो की महिलाएं उस महिला को तोहफे में चांदी की चूड़ी देती हैं और इसे पाटो कहा जाता हैं। इसका मतलब यही होता है कि वह विधवा नहीं है। गांव के लोग ही महिला को विधवा होने से बचाने के लिए उसकी शादी का बंदोबस्त करते हैं।