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ट्रांसफर रोकने से हाईकोर्ट के इनकार के बाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे संजय कुंडू
पंकज/नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के पूर्व डीजीपी संजय कुंडू (Former DGP of Himachal Pradesh Sanjay Kundu) ने हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है। कुंडू ने हिमाचल हाईकोर्ट में उनके ट्रांसफर के आदेश को वापस लेने की अपील की थी, जिसे हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने मानने से इनकार कर दिया था। इसी आदेश को चुनौती देते हुए कुंडू ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हिमाचल हाईकोर्ट ने 26 दिसंबर को दिए अपने आदेश में संजय कुंडू को डीजीपी पद से हटाकर कहीं और पदस्थ करने को कहा था। इसके बाद हिमाचल सरकार ने कुंडू को डीजीपी के पद से हटाने के आदेश जारी किए थे। उसके अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ स्टे ले आए थे। सुप्रीम कोर्ट ने ही कुंडू से कहा था कि वे हाईकोर्ट में ट्रांसफर (Transfer) के आदेश को रद्द करने की अपील करें।
हाईकोर्ट ने उठाया था बड़ा सवाल
यह पूरा मामला पालमपुर के व्यापारी निशांत शर्मा को धमकाने के मामले से जुड़ा है। कुंडू पर आरोप है कि उन्होंने एक वरिष्ठ वकील की ओर से दीवानी विवाद में हस्तक्षेप किया था। हिमाचल हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सवाल किया था कि कुंडू जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एक निजी कंपनी के शेयरधारकों (Shareholders Of A Private Company) के बीच नागरिक विवाद में हस्तक्षेप कैसे कर सकते थे।
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कुंडू ने दी थी यह दलील
अदालत ने कुंडू को डीजीपी पद से हटाने के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा, ‘इस आचरण को प्रथम दृष्टया उनके कर्तव्य के दायरे में नहीं कहा जा सकता है। कुंडू ने अपने बचाव में उच्च न्यायालय से कहा था कि उन्होंने अपने पुराने परिचित वरिष्ठ अधिवक्ता केडी श्रीधर से इस कारोबारी विवाद (Business Dispute) के बारे में जानने के बाद ”नेक नीयत से और पुलिस के नेतृत्व वाली मध्यस्थता के सिद्धांतों से प्रेरित” होकर इस मुद्दे को देखा था।
शेयर बेचने पर कर रहे थे मजबूर
शिकायतकर्ता निशांत शर्मा (Nishan Sharma) ने अदालत को बताया कि श्रीधर और उनके भाई डीजीपी के माध्यम से उन्हें एक निजी कंपनी में अपने और अपने पिता के शेयर बेचने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे थे। उच्च न्यायालय ने तर्क दिया कि श्रीधर एक गरीब आदमी नहीं है जो कानूनी उपायों का लाभ नहीं उठा सकता है। अदालत ने कहा, ‘ऐसे व्यक्ति के अनुरोध पर संजय कुंडू ने विवाद को सुलझाने का प्रयास किया, जो प्रथम दृष्टया उनकी शक्ति और अधिकार का एक बेरंग प्रयोग प्रतीत होता है।’