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पूर्व उपकुलपति पद से निष्कासन के खिलाफ हाईकोर्ट में किया चैलेंज, निजी यूनिवर्सिटी को नोटिस
शिमला। महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय (Maharishi Markandeshwar University) के पूर्व उपकुलपति डॉक्टर विपिन सैनी ने अपने निष्कासन को हाईकोर्ट (HighCourt) के समक्ष चुनौती दी है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात् हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान (Himachal Pradesh Private Educational Institutions) नियामक आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले में दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय में उपकुलपति (Vice-Chancellor) के पद के लिए जरूरी योग्यता रखता है, लेकिन आयोग ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (University Grant Commission) द्वारा 18 जुलाई, 2018 को जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता को उपकुलपति पद से हटाने बारे सिफारिश की गई।
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याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी है कि उसे उपकुलपति के पद से हटाए जाने का निर्णय गलत है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई, 2018 को जारी अधिसूचना में दी गई शैक्षणिक योग्यता याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होती, क्योंकि याचिकाकर्ता की उपकुलपति के पद पर नियुक्ति वर्ष 2016 में चलित शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualifications) के आधार पर की गई थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 18 जुलाई, 2018 को जारी अधिसूचना को पूर्व प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया जा सकता। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी ने प्रोफेसर (Professor) के पद पर दस वर्ष और तीन महीने सेवा दी है और वह पूरी तरह से उपकुलपति के पद के लिए जरूरी अनुभव रखता है।
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भारत के उपराष्ट्रपति हमीद अंसारी (Vice President Hameed Ansari) का उदाहरण देते हुए याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि वे भी सिविल सेवक होते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति रह चुके है। प्रार्थी ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि उसे महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर पुनः तैनाती करने के बारे में आदेश पारित किया जाए। मामले की आगामी सुनवाई 2 जून को निर्धारित की गई है।