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गोवर्धन पूजा आज, शुभ मुहूर्त पर करें पूजा; भूलकर भी ना करें ये काम
Last Updated on November 14, 2023 by Soumitra Roy
आज गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) है, यह पूजा हर साल दिवाली (Diwali) के ठीक दूसरे दिन की जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ क्योंकि इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हुई और इस तिथि का समापन आज दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए गोवर्धन पूजा 14 नवंबर यानी आज मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गोवर्धन (Lord Govardhan) को पूजा जाता है। पूजा के समय गोवर्धन भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं। पूजा के दौरान भूलकर भी कुछ काम नहीं करने चाहिए। इन कामों की बजय से घर की खुशियों पर असर पड़ सकता है।
गोवर्धन पूजा शुभ-मुहूर्त (Shubh-Muhurat)
गोवर्धन पूजा के लिए शुभ-मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 6 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक है। पूजा का समय केवल 2 घंटे 9 मिनट होगा।
गोवर्धन पूजा पर भूलकर भी न करें ये काम
- घर पर परिवार (Family) के सभी लोगों को एक साथ मिलकर गोवर्धन पूजा करनी चाहिए। अलग-अलग पूजा करना अशुभ माना जाता है।
- पूजा के दौरान भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें। इस दिन हल्के पीले या नारंगी रंग के कपड़े पहनना उत्तम माना गया है।
- गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें। पूजा खुली जगह जैसे घर के आंगन, बालकनी या छत में ही करें।
- गायों की पूजा करते हुए भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें। गायों को भोग लगाना ना भूलें।
- इस दिन भूलकर भी गाय, पौधों, जीव-जंतु आदि को न सताएं और न ही कोई नुकसान पहुंचाएं।
- इस दिन मांस-मदिरा (Meat And Liquor) का सेवन न करें। ऐसा करने से जीवन में अशांति फैल सकती है।
- गोवर्धन की परिक्रमा हमेशा नंगे पैर करनी चाहिए। इसके अलावा अगर आपने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा शुरू करने के बाद कभी भी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। गोवर्धन की परिक्रमा बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है।
गोवर्धन पूजा विधि (Puja-Method)
गोवर्धन पूजा की सुबह महिलाएं स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें और घर के मुख्य दरवाजे पर या अपने आंगन में गोबर से प्रतीकात्मक रूप से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। इसके बीच में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखें। गोवर्धन पर्वत को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाएं और दीपक जलाएं। साथ ही इस दिन श्रीकृष्ण देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें। किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करवाएं दान-दक्षिणा देकर विदा करें।