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Haryana Politics : रिजल्ट से पहले ही हुड्डा चल रहे विधायकों का दांव, डर है कहीं भजनलाल सरीखा ना हो हाल !
Bhupinder Singh Hooda : हरियाणा (Haryana) की सियासत इस वक्त तक कांग्रेस के आसपास घूम रही है। कांग्रेस (Congress) भी आश्वस्त है कि चुनाव परिणाम उनके ही हक में आ रहे हैं। इस बीच कांग्रेस खेमे में सीएम पद को लेकर गहमागहमी मची हुई है। कांग्रेस में सीएम पद के फ्रंट रनर भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) कोई भी दांव छूट ना जाए,इस रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। इसके चलते ही वह इस बात से भी वाकिफ हैं कि वर्ष 2005 के चुनाव में चौधरी भजनलाल (Bhajan Lal) के नाम पर चुनाव लड़ा गया था और कांग्रेस की 67 सीटें आई थी। उस समय पार्टी हाईकमान ने भजनलाल को छोड़कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाया। हाईकमान इस बार भी उसी तर्ज पर कोई फैसला ना ले, इसलिए हुड्डा पहले से ही सतर्क हैं और हाईकमान के नेताओं को साधने में जुटे हैं। ऐसे में अगर हाईकमान बदलाव को लेकर कोई फैसला लेता है तो हुड्डा विधायकों की अनुशंसा का गेम खेल सकते हैं। 72 टिकट हुड्डा के समर्थकों को मिली है, ऐसे में अगर 50 से 55 उम्मीदवार जीत जाते हैं हैं तो इनमें से 40 उम्मीदवार हुड्डा को ही कुर्सी पर पसंद करेंगे।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा रविवार को अपने रोहतक स्थित आवास में सारा दिन लोगों से मिलते रहे और जीत की संभावना वाले प्रत्याशियों से फोन पर बातचीत की। उन्होंने एक-एक प्रत्याशी से रिपोर्ट ली। पूरा दिन रोहतक में समर्थकों के बीच बिताने के बाद भूपेंद्र हुड्डा शाम को दिल्ली निकल गए थे। हालांकि, पिछले पांच वर्षों में हुड्डा को हाईकमान ने फ्री हैंड दे रखा। लोकसभा और विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) में भी उनके ही समर्थकों को टिकट मिले। कांग्रेस के चार सांसद उनके साथ हैं। अगर विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचार की बात करें तो हुड्डा ने पूरे प्रदेश में 75 जनसभाएं की और दीपेंद्र हुड्डा (Deepender Hooda) ने 85 से ज्यादा कार्यक्रम किए। दोनों ने 70 से अधिक विधानसभा क्षेत्र नापे। दीपेंद्र हुड्डा की पीठ कांग्रेस नेता (Rahul Gandhi) राहुल गांधी, प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) भी थपथपा चुके हैं।
हरियाणा में कांग्रेस खेमे में कुमारी शैलजा (Kumari Selja) की बात करें तो वह 10 से 12 इलाकों तक ही प्रचार में सीमित रही। टिकट बंटवारे के बाद कम से कम 10 दिनों तक वह घर बैठी रहीं और उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की। बीजेपी ने इस मुद्दे को खूब भुनाने की कोशिश की। हाईकमान के दखल के बाद सैलजा प्रचार में उतरीं। वहीं दूसरी तरफ रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने खुद को कैथल तक ही सीमित रखा और उन्होंने अपने बेटे आदित्य की जीत के लिए पूरा जोर लगाए रखा। सुरजेवाला बीच-बीच में सीएम पद को लेकर दावेदारी जताते रहे हैं, लेकिन ऐसा कोई विवादित बयान नहीं दिया जिससे पार्टी को परेशानी हो। कुल मिलाकर इस वक्त हरियाणा में कांग्रेस की सियासत खूब गहमागहमी वाली है।
-पंकज शर्मा