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Corona इन India: 28 हजार के पार पहुंचा मरीजों का आंकड़ा, 886 लोगों ने गंवाई जान
नई दिल्ली। भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर जारी है। देश में कुल मामले 28 हजार के करीब पहुंच गए हैं। एक्टिव केस के आंकड़े 20 हजार के पार हो गए हैं। इस संक्रमण से अब तक 886 लोगों की जान जा चुकी है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 28380 हो गई है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1463 नए मामले सामने आए हैं और सबसे ज्यादा 60 लोगों की मौत हुई है। अच्छी बात ये है कि 6 हजार से अधिक लोग कोरोना की जंग जीत कर ठीक भी हो चुके हैं। रिकवरी प्वॉइंट 22.17% हो चुका है। रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है।
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अगर राज्यों की बात करें तो कोरोना के मामले में महाराष्ट्र नंबर वन पर बना हुआ है, जहां पॉजिटिव की संख्या 8 हजार से ज्यादा हो गई। गुजरात में तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। यहां 3 हजार से ज्यादा संक्रमित हो गए। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, देश के 16 जिले ऐसे हैं जहां पिछले 28 दिनों में कोरोना का कोई केस रिपोर्ट नहीं हुआ है। इस सूची में शामिल होने वाले तीन नए जिले- महाराष्ट्र में गोंदिया, कर्नाटक में देवांगेरे और बिहार में लखी सराय है। वहीं 85 जिले ऐसे हैं जहां पिछले 14 दिनों में कोरोना का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, आज पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। उन्होंने राज्यों के सीएम से कहा कि वे सजग और सचेत रहे। रेड जोन और ऑरेंड जोन में पड़ने वाले सभी जिलों में सख्ती रखते हुए चेन ऑफ ट्रांसमिशन को रोका जाए। ग्रीन जोन में जिला एडमिनिस्ट्रेशन सर्विलेंस पर फोकस रखते हुए अलर्ट रहे, ताकि उन जिलों में ये संकट प्रवेश न करे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना पॉजिटिव लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने की अपील की।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, गलत सूचना और दहशत फैलाने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो मरीज कोरोना वायरस से ठीक हुए हैं वो संक्रमण ट्रांसमिट नहीं करते। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी समुदाय या क्षेत्र पर कोरोना के प्रसार पर लेबल नहीं लगाना चाहिए। खासकर स्वास्थ्य कर्मी, स्वच्छचा कार्यकर्ता या पुलिस को टारगेट नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि वे आपकी मदद करने के लिए हैं। ये लड़ाई पूरे समाज और देश की है। पूरे समाज का सपोर्ट लिए बिना हम ये लड़ाई कभी नहीं जीत सकते हैं। हमारे फ्रंट लाइन वर्कर्स हमारे प्रोटेक्टर्स हैं। हमें उनके साथ भेदभाव नहीं करना है।