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हाईकोर्ट का सरकार के फैसले में हस्तक्षेप से इंकार, सरकार ने हटाए थे 4 लोग
शिमला। हाईकोर्ट के न्यायाधीश (Justice) तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने राम लोक व अन्य द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। प्रार्थियों ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि पिछली सरकार (Previous govt) ने उनकी नियुक्तियां तीन वर्ष के लिए की थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने कैबिनेट (Cabinet) के निर्णय के बिना ही उन्हें हटा दिया। जो कि कानूनी तौर पर गलत है।
ऐसी नियुक्तियां सरकार की मर्जी से होती हैं
याचिका में यह भी दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेशों के बाद राज्य में अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया था। प्रार्थी राम लोक को अध्यक्ष (Chairman) दिले राम, रिमा धीमान और शिव चरण चौधरी को इसका सदस्य बनाया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन सभी की नियुक्तियां तीन वर्ष के लिए की गई थी। लेकिन 17 दिसंबर 2022 को मौजूदा सरकार ने इन्हें हटाने के आदेश पारित कर दिए थे। सरकार के इस निर्णय को अदालत के समक्ष चुनौती दी गई। कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि प्रार्थी सरकार के निर्णय को चुनौती देने का हक नहीं रखते हैं। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि जहां उच्च पदों पर बिना प्रतिस्पर्धा चयन प्रक्रिया से उच्च पदों पर नियुक्तियां होती हैं वे केवल सरकार की मर्जी से की जाती है। इसमें सार्वजनिक कार्यालय जैसे आयोग के अध्यक्ष बोर्ड के सदस्य इत्यादि शामिल है। इन नियुक्तियों को सरकार कभी भी रद्द कर सकती है। सरकार के इन निर्णय को मनमाना या असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता है।
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