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#High_Court: दिव्यांगों को अंतर जिला स्थानांतरण को अलग कोटे का प्रावधान करने के दिए आदेश
Last Updated on October 10, 2020 by saroj patrwal
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) ने दिव्यांगों को अंतर जिला स्थानांतरण हेतू अलग कोटे का प्रावधान करने के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि जब केंद्र व राज्य सरकारें दिव्यांगों (Divyang) को नौकरी देने के लिए कम से कम 3 फीसदी कोटा दे रही है तो उनकी दिक़्क़तों को देखते हुए उन्हें एक जिले से दूसरे जिले को स्थानांतरण (Transfer) हेतु भी कुछ कोटा निर्धारित होना चाहिए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित जेबीटी अध्यापक (JBT Teacher) पंकज कुमार की याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश दिए। मामले के अनुसार प्रार्थी हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित होने के कारण अपना स्थानांतरण जिला मंडी से अपने गृह जिले कांगड़ा करवाना चाहता था। इसके लिए प्रार्थी ने ट्रिब्यूनल में मामला दायर किया। ट्रिब्यूनल ने एलिमेंट्री शिक्षा निदेशक को आदेश दिए कि वह प्रार्थी के प्रतिवेदन उसकी बीमारी को देखते हुए सहानुभूतिपूर्वक निर्णय ले।
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प्रार्थी के प्रतिवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि स्थानांतरण नीति के तहत ऐसे अनुबंध कर्मचारियों को ट्रांसफर करने का कोई प्रावधान नहीं है। प्रार्थी ने शिक्षा निदेशक के इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। सरकार का कहना था कि प्रार्थी जेबीटी अध्यापक होने के कारण जिला कैडर में नियुक्त हुए है। इसलिए उसे 3 फीसदी कोटे के तहत निर्धारित 13 वर्षों का कार्यकाल पूरा किये बगैर दूसरे जिले को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। कोर्ट (Court) ने प्रार्थी की बीमारी को देखते हुए उसे कांगड़ा जिला के रक्कड़ ब्लॉक के तहत पड़ने वाले राजकीय प्राथमिक पाठशाला कलोहा अथवा रक्कड़ स्थान्तरित करने के आदेश देते हुए खेद प्रकट किया कि अगर प्रतिवादियों ने हीमोफीलिया बीमारी की गम्भीरता को समझा होता तो प्रार्थी के प्रतिवेदन को यूं खारिज न करते। कोर्ट ने कहा कि सरकार का दिव्यांगजनो के प्रति उदासीनता और लापरवाही पूर्ण रवैया खेदजनक है।
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