-
Advertisement

High Court: नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ हो कड़ी सजा का प्रावधान
Himachal High Court: शिमला। हाईकोर्ट ने प्रदेश में घटिया दवाओं के उत्पादन की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने इसे रोकने के लिए दोषी दवा निर्माताओं और प्रयोगशालाओं के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करने पर विचार करने के आदेश (Order) जारी किए। कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं कि अफ्रीकन देशों में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बनाई दवाओं का इस्तेमाल करने से अनेक मौतें हुई। अब समय आ गया है जब नकली दवा निर्माताओं (Fake medicine manufacturers) के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया जाए। अदालत ने कहा कि यह व्यथित कर देने वाली बात है कि बद्दी में दो राज्य दवा प्रयोगशालाओं (State Medicine Laboratories) को चलाने के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था होने के बावजूद उन्हें संचालित नहीं किया जा रहा। यहां तक कि एक प्रयोगशाला के लिए भवन का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार ने जनता का धन खर्च कर बनाया। इन प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होते हुए भी इन्हे ना चलाया जाना खेद का विषय है।
कोर्ट ने सरकार को इन प्रयोगशालाओं के संचालन में आ रही बाधाओं को दूर करने के प्रयास करने के आदेश दिए। मामले की सुनवाई के दौरान पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपये प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए है। लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी। अदालत (Court) ने राज्य सरकार से प्रयोगशाला के निर्माण और संचालन सहित नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ कड़ी सजा संबंधी प्रावधान पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। खबरों पर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है। खबरों में उजागर किया गया है कि राष्ट्रीय औषधि नियामक और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल में निर्मित 11 दवाइयों के नमूनों को घटिया घोषित किया है, जबकि एक नमूने को नकली पाया गया। नकली पाई जाने वालों में एक पशु चिकित्सा दवा भी शामिल है। मामले पर सुनवाई 28 अगस्त को निर्धारित की गई है।