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Shimla Water Crisis: हाईकोर्ट ने गिरी नदी में गंदगी को लेकर जल प्रबंधन निगम से मांगा जवाब
Shimla Drinking Water Crisis: शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Highcourt) ने शिमला को पानी मुहैया करवाने वाली गिरी नदी (Giri River) में गाद के कारण गंदगी से जुड़े मुद्दे के निपटारे के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने के आदेश (Order) जारी किए हैं। कोर्ट ने शिमला जल प्रबंधन निगम को यह आदेश जारी करते हुए मामले की सुनवाई 27 मार्च को निर्धारित की है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता विजय अरोड़ा द्वारा शिमला शहर में पेयजल संकट (Shimla Drinking Water Crisis) से निजात पाने के लिए दायर जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किए।
ये है पूरा मामला………..
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार (State Government) को करीब 4 साल पहले आदेश जारी किए थे कि वह गिरी नदी में गंदगी से निपटने बाबत सभी पक्षकारों के साथ मीटिंग का आयोजन करें। इस दौरान सभी पक्षकारों को यह आदेश जारी किए गए थे कि वे यह सुनिश्चित करें कि गिरी नदी में किसी भी प्रकार का मलबा व कचरा ना गिराया जाए। सदस्य सचिव पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, लोक निर्माण विभाग व वन विभाग को आदेश जारी किए थे कि वह संयुक्त निरीक्षण करें और पहचान करें कि ऐसे कौन से संवेदनशील स्थान है जहां पर अवैध तरीके से मलबे की डंपिंग की जाती है। कोर्ट ने आदेश दिए थे कि इन स्थानों को तारों इत्यादि द्वारा सील किया जाए।
इस बाबत राज्य सरकार को विशेष बजट प्रस्ताव रखने के भी आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने इन आदेशों की जानकारी गिरी नदी से लगती ग्राम पंचायतों को पहुंचाने के आदेश जारी किए थे। एसजेपीएनएल की और से कोर्ट को बताया गया था कि गिरी नदी में गाद और अन्य तरह की गंदगी से निपटने के लिए नदियों की साफ सफाई के लिए इस्तेमाल होने वाली वोर्टेक्स सेप्रेशन टेक्नोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीक स्थापित की जाएगी।
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-कुलभूषण