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अवैध डंपिंग: हाईकोर्ट ने NHAI और पर्यावरण मंत्रालय से पूछे कड़े सवाल
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने किरतपुर-मनाली फोरलेन निर्माण (Kiratpur Manali highway Construction) के दौरान जंगलों और नदियों में मलबा फेंकने (Dumping) पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और NHAI से कड़े सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने कहा है कि वे शपथपत्र देकर बताएं कि ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। अदालत ने राज्य सरकार को भी आदेश दिए हैं कि वह अदालत को बताए कि PWD के ठेकेदार को अवैध डंपिंग (Illegal Dumping) से रोकने के लिए क्या योजना बनाई जा रही है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 9 अगस्त को निर्धारित की है।
अदालत ने कहा कि NHAI के साथ लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार भी अवैध डंपिंग के लिए जिम्मेवार हैं। ठेकेदार नदियों के किनारे और पहाड़ियों पर अवैध डंपिंग कर रहे हैं। फोरलेन विस्थापित और प्रभावित समिति की याचिका पर अदालत ने यह आदेश पारित किए। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के बताया गया कि किरतपुर-नेरचौक फोरलेन निर्माण के दौरान NHAI के ठेकेदार ने जंगल में मलबा फेंक दिया है। NHAI ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में माना कि 12 जून 2019 को डीएफओ बिलासपुर ने मलबे की अवैध डंपिंग की शिकायत की है। इसके लिए NHAI ने 8,45,700 रुपये की राशि जुर्माने के तौर पर जमा करवा दी है।
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दो मामलों की सुनवाई एक साथ
फोरलेन निर्माण से जुड़े एक अन्य मामले में फोरलेन निर्माण के मलबे को गोबिंद सागर झील में ठिकाने लगाने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ निर्धारित की है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि गोबिंद सागर झील में अदालत की रोक के बावजूद भी अवैध डंपिंग का सिलसिला नहीं थम रहा है। अदालत को इस बारे में छपी खबरों और फोटो से अवगत करवाया गया। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि झील में अवैध डंपिंग हो रही है। सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआईएफआरआई) ने भाखड़ा बांध जलाशय में मछली की आबादी में बड़ी गिरावट दर्ज की है। इसका मुख्य कारण झील में अवैध डंपिंग से गाद के स्तर में वृद्धि हुई पाया गया है। गाद की वजह से बिलासपुर जिले के सबसे बड़े जल निकाय गोबिंद सागर में विभिन्न मछली प्रजातियों के प्रजनन को नुकसान पहुंचाया गया है।