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हिमाचल के माननीयों की मौजें ही मौजें, हर साल दो करोड़ इनकम टैक्स भर रही सरकार
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने राज्य सरकार के खजाने से मंत्रियों और विधायकों के आयकर भुगतान करने को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका में सरकार को नोटिस (Notice) जारी कर जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यशपाल राणा और अन्य द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं के अनुसार विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम] 1971] जिसके तहत विधान सभा के सदस्यों और मंत्रियों को उनके द्वारा अर्जित आय पर विभिन्न भत्तों और अनुलाभों के साथ आयकर (Income Tax) का भुगतान करने से दी गई छूट असंवैधानिक है।
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इसके अलावा मंत्रियों के वेतन (Salary) और भत्ते (हिमाचल प्रदेश) अधिनियम] 2000 के कुछ प्रावधान भी असंवैधानिक है, जिसके आधार पर मंत्रियों को उनके द्वारा अर्जित आय पर आयकर का भुगतान करने से छूट दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इन अधिनियमों के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार इन अधिनियमों में प्रावधानों को शामिल करने की तिथि से विधायकों (MLA) और मंत्रियों के आयकर का भुगतान कर रही है।
याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Legislative Assembly) (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) अधिनियम,1971 की धारा 6, जिसके तहत विधानसभा सदस्य को देय वेतन और प्रतिपूरक, निर्वाचन क्षेत्र, सचिव, डाक (Post) सुविधाएं और टेलीफोन भत्ते और अन्य अनुलाभों पर देय आयकर का भुगतान राज्य सरकार करेगी का प्रावधान बनाया गया है, उसे असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द किया जाए। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की है कि मंत्रियों के वेतन और भत्ते (Allowances) (हिमाचल प्रदेश) अधिनियम] 2000 की धारा 12, जिसके तहत एक मंत्री को देय वेतन और भत्ते और उसे स्वीकार्य सुसज्जित घर और अन्य अनुलाभ पर आयकर की अदायगी राज्य सरकार करेगी] को असंवैधानिक घोषित कर रद्द किया जाए।
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दो करोड़ सालाना टैक्स भरती है सरकार
हिमाचल प्रदेश में माननीयों की ख़ूब मौज है। विधायकों व मंत्रियों के वेतन भत्तों का टैक्स (Tax) भी सरकार चुकता करती है। हिमाचल उन पांच राज्यों में से एक है जिनके माननीयों का टैक्स सरकार चुकाती है। हिमाचल के अलावा हरियाणा, पंजाब (Punjab), उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के माननीयों का टैक्स भी सरकार ही अदा करती है। हिमाचल प्रदेश में 68 विधायक है। जिनका सालाना टैक्स क़रीब 2 करोड़ बनता है। हिमाचल प्रदेश ऐसे पांच राज्यों में से एक है जहां माननीयों को सबसे ज़्यादा वेतन भत्ते मिलते है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वकीलों ने दायर याचिका में कहा कि जब देश का हर व्यक्ति टैक्स अदा कर रहा है तो माननीय का टैक्स सरकार क्यों दे रही है।
माननीयों ने अपने लिए अलग से कानून बनाकर ये प्रावधान किया है जो असंवैधानिक है। याचिकाकर्ताओ की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मनिकटला ने बताया कि उच्च न्यायालय ने माननीयों के वेतन भत्तों पर सरकार द्वारा टैक्स दिया जाता है, जिसको लेकर हिमाचल सरकार, विधानसभा व BJP महेंद्र सिंह ठाकुर, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, सीपीआईएम के नेता राकेश सिंघा (Rakesh Singha) व निर्दलीय होशियार सिंह को नोटिस जारी कर जबाब तलब किया गया है। इनसे छ हफ़्ते में जबाब मांगा गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि उच्च न्याय इसमें उनके पक्ष व जनहित में फैसला लेगा।