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धार्मिक यात्राओं पर लगे Ban को हटाने से पहले Monsoon से डरी हिमाचल सरकार
शिमला। कोविड-19 के बीच धार्मिक यात्राओं पर लगा प्रतिबंध (Ban) हटाने से पहले प्रदेश सरकार को मानसून (Monsoon) का डर सताने लगा है। इस बात की चिंता इसलिए हो रही है चूंकि मौसम विभाग (Weather Department) ने मानसून सामान्य से अधिक रहने की संभावना व्यक्त की है। इसी के चलते आज मुख्य सचिव अनिल खाची ने सभी जिलों के डीसी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर कहा है कि प्रदेश में अभी तक धार्मिक यात्राओं पर प्रतिबंध है, लेकिन यदि आने वाले समय में इसकी अनुमति प्रदान की जाती है तो हमें कोविड-19 के दृष्टिगत मानसून को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाने होंगे।
सभी डीसी को पर्याप्त तैयारियां करने के निर्देश
खाची ने मौसम विभाग की चेतावनी के अनुरूप सभी डीसी को पर्याप्त तैयारियां करने और समय-समय पर उचित सलाह प्रदान करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भूस्खलन व बाढ़ के लिए संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित किया जाना चाहिए तथा लोक निर्माण विभाग को अग्रसक्रिय भूमिका निभाते हुए आवश्यक मशीनरी व श्रमशक्ति तैनात करनी चाहिए ताकि आम जनता को किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े।
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मुख्य सचिव ने कहा कि उन क्षेत्रों में समय रहते पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्रीए चारे व ईंधन का पर्याप्त मात्रा में भंडारण किया जाए जिनकी प्राकृतिक आपदाओं के कारण शेष हिस्सों से कटने की संभावना हो। विशेषकरए राज्य के जनजातीय क्षेत्रों जैसे किन्नौर, लाहुल-स्पीति, पांगी, भरमौर और डोडरा-क्वार जैसे क्षेत्रों में आवश्यक सामग्री पर्याप्त मात्रा में भेजी जाए जो अक्सर भारी वर्षा के दौरान राज्य के दूसरे भागों से कट जाते हैं।
वन स्वीकृतियों के मामलों में शीघ्रता लाने पर जोर
मुख्य सचिव ने सभी जिलों को डॉप्लर वैदर रडार स्थापित करने के लिए प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों को तुरंत मंजूर करने तथा जहां भी आवश्यकता होए वन स्वीकृतियों के मामलों में भी शीघ्रता लाने के निर्देश दिए। प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार शर्मा ने जिलों को निर्देश दिए कि आपदा शमन के लिए जारी किए गए धन का उपयोग निर्धारित मानदंडों के अनुरूप किया जाए तथा उपयोग प्रमाण पत्र शीघ्र प्रस्तुत किए जाने चाहिए ताकि आने वाले मानसून को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त धन का प्रावधान किया जा सके। उन्होंने ज़िला कांगड़ा, मंडी तथा शिमला में आपदा प्रतिक्रिया बल के लिए भूमि चिन्हित करने पर भी बल दिया।