-
Advertisement
हिमाचल सरकार ने केंद्र से पूछा: ST का दर्जा सिर्फ हाटी या पूरे ट्रांस गिरीपार को?
शिमला। सिरमौर के ट्रांस गिरीपार इलाके (Trans Giripar Area Of Sirmour) के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के मामले में अब एक नया पेंच खड़ा हो गया है। राज्य के उद्योग मंत्री और सिरमौर (Sirmour) से विधायक हर्षवर्धन चौहान ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति कार्यालय से जारी अधिसूचना (Notification) और अंडर सेक्रेटरी की ओर से जारी सूचना में फर्क है। उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल सरकार ने इस मामले पर केंद्र से स्पष्टीकरण (Clarification) के लिए पत्र लिखा है। आपको बता दें कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को लेकर गिरी पार्क क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोगों ने आपत्ति जताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) में सिविल याचिका दायर की है। कोर्ट ने इस पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजे हैं।
गिरीपार के सभी लोग ST का दर्जा नहीं चाहते
हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि राष्ट्रपति की अधिसूचना में ट्रांसगिरी के समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है। इसमें एक बड़ी समस्या यह है कि राष्ट्रपति और अंडर सेक्रेटरी की अधिसूचना में अंतर है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की अधिसूचना में गिरीपार क्षेत्र के सभी लोगों को एसटी के दर्जे में शामिल किया गया है। दोनों में अंतर है। राष्ट्रपति की अधिसूचना अंतिम मानी जाती है। गिरीपार क्षेत्र में कई लोग जो अनुसूचित जाति के हैं, वे ST कैटेगरी का हिस्सा नहीं बनना चाहते। लिहाज़ा लोगों की ओर से उच्च न्यायालय में सिविल याचिका दाखिल की गई है।
यह भी पढ़े:CPS की नियुक्ति: केस ट्रांसपर पर सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई
हाटी को ST का दर्जा देने को तैयार
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोगों की मांग जायज है। अब प्रदेश सरकार केंद्र से यह जानना चाहती है कि किस अधिसूचना को सही मानें? उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बिना किसी देरी के हाटी समुदाय को ST का दर्जा देने को तैयार है।
एनजीटी के नोटिस का करेंगे रिव्यू
शिमला के नजदीक कुफरी में घोड़े की संख्या 217 तय करने को लेकर एनजीटी (NGT) के नोटिस पर हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि कुफरी (Kufri) में घोड़ों के सहारे बहुत से लोगों का रोजगार निर्भर है। इससे पर्यटन कारोबार को सहारा मिलता है। सरकार इस मामले में संज्ञान लेगी और जरूरत पड़ी तो एनजीटी के नोटिस का रिव्यू भी करेगी।