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हिमाचल हाईकोर्ट ने खारिज की शिक्षिका की तबादला याचिका, जाने क्यों
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने मेडिकल व घरेलू कठिनाइयों के आधार पर स्थानान्तरण (Transfer) की मांग से जुड़े मामले को खारिज कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि एक शिक्षक (Teacher) छात्रों को शिक्षित करने के लिए नियुक्त किया जाता है। शिक्षण पेशे का अभ्यास करने वाला व्यक्ति आदर्श होना चाहिए ताकि छात्र सर्वोत्तम सिद्धांतों को जान सकें और सभ्य जीवन में उनका अभ्यास कर सकें। भारतीय समाज में गुरु को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है। एक शिक्षक का कर्तव्य है कि वह ज्ञान और क्षमता से छात्रों को लैस करें, ताकि वह अनुशासन और बुद्धि से जिंदगी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सके।
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एक शिक्षक सीखने का संरक्षक होता है और अज्ञान को नष्ट करता है। इसलिए, महान शिक्षण पेशे के सदस्य के रूप में, वह रोल मॉडल होना चाहिए। एक समर्पित और अनुशासित शिक्षक के बिना यहां तक कि सबसे अच्छी शिक्षा प्रणाली भी विफल हो जाती है। अत: शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वह विद्यार्थियों की देखभाल इस प्रकार करे जैसे माता-पिता अपने बच्चों की देखभाल करते है। यह बहुत ही दयनीय स्थिति होगी कि जब भगवान के समान माने जाने वाले शिक्षकों का पतन हो जाएगा। वह उच्चतम आसन से निम्नतम स्तर तक आ जाएंगे और केवल अपने स्वार्थ की देखभाल करना ही उनका उद्देश्य होगा। याचिकाकर्ता ने अपनी एक किडनी की समस्या, पति के लीवर व किडनी में पत्थरी की समस्या और वृद्ध सास की देखभाल से जुड़ी समस्या के आधार पर स्थानांतरण की मांग की थी। हाईकोर्ट ने जिसे कानूनन अपर्याप्त मानते हुए अस्वीकार कर दिया।
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