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पेड़ कटने से पहले ही लोगों को रोके वन विभाग- हाईकोर्ट का सख्त आदेश
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने वन विभाग वनों के कटान को हर हालत में रोकने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि पेड़ों के कटने (Tree Cutting) के बाद मात्र जुर्माना वसूली से हालत नहीं सुधरेंगे। पेड़ कटने से पहले ही लोगों को रोकना होगा। कोर्ट ने फॉरेस्ट रेस्ट हाऊस चैल चौक मंडी के नजदीक सैंकड़ों पेड़ काटकर एक बड़ा मैदान बनाए जाने की जांच के आदेश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचन्द्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने डीसी मंडी (DC Mandi) की रिपोर्ट को परेशान करने वाला बताया। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कैसे फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (Forest Rest House) के साथ का बहुत बड़ा भाग बिना वन विभाग की जानकारी के खाली कर दिया गया।
कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मंगवाई
कोर्ट ने डीसी मंडी की रिपोर्ट का अवलोकन कर पाया कि दो व्यक्तियों पर कांगिरी से वाइल्ड लाइफ रेस्ट हाउस शिकारी देवी सड़क को चौड़ा करने के लिए अनेकों पेड़ काटने जुर्म में 3 लाख रुपए का जुर्माना और कुछ समझौता शुल्क वसूला गया। कोर्ट ने पुलिस स्टेशन गोहर में 15 फरवरी 2015 और 10 जनवरी 2022 को वन अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन पर दर्ज प्राथमिकी की स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की है।
यह है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने नाचन जिला मंडी में पेड़ों के अवैध कटान की जांच के लिए कानूनी सेवा प्राधिकरण मंडी के सचिव सहित डीसी और एसपी मंडी की एक कमेटी (Committee) गठित की थी। हाईकोर्ट ने स्थानीय निवासी राजू द्वारा मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लिया है। जुलाई 2022 में लिखे पत्र में आरोप लगाया गया है कि पांच साल से अधिक समय से तैनात तत्कालीन डीएफओ (DFO) नाचन के इशारे पर वन मंडल नाचन के कई वन क्षेत्रों में हजारों हरे पेड़ काटे गए हैं। वन संरक्षण अधिनियम (Forest Conservation Act) के तहत मंजूरी के बिना अत्यधिक घने जंगल से पेड़ों को काटकर अवैध रूप से सड़कों का निर्माण किया गया है।
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शिकारी देवी-देहर रोड के लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में सेंचुरी एरिया होने के बावजूद वन क्षेत्र नष्ट हो गया है। आरोप है कि तत्कालीन डीएफओ के इशारे पर रेस्ट हाउस से लगभग 100 मीटर की दूरी पर चैल चौक (Chail Chowk) पर लगभग 500 हरे पेड़ों को नष्ट कर एक मैदान का निर्माण किया गया है। प्रार्थी ने तत्कालीन डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर जवाब में लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। न्यायालय ने कमेटी को यह सत्यापित करने का निर्देश दिया है कि प्रतिवादियों द्वारा दायर जवाब में किए गए दावे सही हैं या नहीं। समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। मामले पर सुनवाई 14 दिसम्बर को होगी।