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शिमला को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने कोर्ट मित्र के सुझाव मानें: हाईकोर्ट
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने शिमला शहर (Shimla City) में ट्रैफिक जाम (Traffic Jam) से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार को कोर्ट मित्र के सुझाव पर अमल करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किए। कोर्ट मित्र ने बताया कि निजी और सरकारी खटारा गाड़ियां सड़कों पर लंबे समय से खड़ी हैं। इससे आम जनता को ट्रैफिक जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है। सुझाव है कि ऐसे वाहनों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। शिमला में रोपवे (Ropeway) के निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित तो की गई है, लेकिन निर्माण शुरू किए जाने की कोई जानकारी नहीं है।
तीन सुरंगे न जाने कहां गायब हो गईं
कोर्ट मित्र ने शिमला में बनने वाली तीन सुरंगों (3 Tunnels) पर भी सवालिया निशान उठाया है। कोर्ट को बताया गया कि देश-विदेश में मशहूर शिमला शहर के लिए विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और कई विदेशी कंपनियां वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। लेकिन इन सुरंगों को बनाने का प्रस्ताव कहीं गुम हो गया है। इसके अलावा शिमला शहर में निजी क्षेत्र के तहत पार्किंग बनाने की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। मोनो रेल (Mono Rail) और मल्टीलेयर रोड बनाने का सुझाव भी दिया गया है।
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कोर्ट ने किए थे ये सवाल
इससे पहले कोर्ट ने डीएसपी शिमला (ट्रैफिक) से शपथपत्र के माध्यम से जानकारी मांगी थी कि क्या सील्ड और प्रतिबंधित रोड विशेषकर रामचंद्र चौक से टका बेंच वाया जोधा निवास और टका बेंच से जाखू वाया ड्रीम लैंड होटल सड़क पर बिना परमिट के गाड़ी चलाई जा सकती है या नहीं। डीएसपी शिमला (ट्रैफिक) को यह बताने के आदेश दिए गए थे कि शहर में कितने सीसीटीवी कैमरे (CCTV Camera) लगाए गए है। कोर्ट ने पूछा था कि क्या सर्कुलर रोड पर वाहन पार्क किये जा सकते हैं या नहीं। यदि सड़क के किनारे अवैध तरीके से वाहन खड़े किये जा रहे है तो उन्हें हटाने बारे क्या कदम उठाये जाते हैं।