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कृषि सर्वेयरों को भी मिलेगा उद्योग विभाग के सर्वेक्षकों के बराबर वेतन
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने कृषि विभाग के सर्वेक्षकों (Surveyors of Agriculture Department) को 1 अप्रैल 1984 से उद्योग विभाग (Industry Department) के सर्वेक्षकों के बराबर का संशोधित वेतनमान (Revised Pay) काल्पनिक तौर पर देने और याचिका दायर करने से तीन साल पहले से वास्तविक वेतनमान का लाभ देने के आदेश दिए हैं।
प्रार्थी संघ ने वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (Tribunal) में याचिका दायर की थी, इसलिए उन्हें बढ़े हुए वेतनमान का वास्तविक लाभ 1995 से मिलेगा। प्रदेश हाईकोर्ट ने कृषि विभाग के सर्वेक्षक संघ की दलीलों से सहमति जताते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए उपरोक्त फैसला सुनाया।
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मुख्य न्यायधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कृषि विभाग के सर्वेक्षकों को उद्योग विभाग के सर्वेक्षकों से कम वेतनमान देने को भेदभावपूर्ण ठहराया। प्रार्थी सर्वेयर एसोसिएशन की दलील थी कि उनका भर्ती का तरीका, भर्ती की प्रक्रिया, न्यूनतम योग्यता, कार्य की प्रकृति एवं दायित्व और नियोक्ता की सैलेरी भुगतान करने की क्षमता दोनो विभागों की एक सी ही है। सरकार द्वारा प्रार्थी संघ द्वारा बताए गए उक्त वास्तविक तथ्यों से सहमति जताने पर कोर्ट ने कहा कि प्रार्थियों का बराबर वेतनमान का दावा सही है। कोर्ट ने पाया कि कृषि विभाग के सर्वेक्षकों का वेतनमान उद्योग विभाग के सर्वेक्षकों के वेतनमान से कम है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह कृषि विभाग के सर्वेक्षकों को 570-1080 का समय समय पर संशोधित वेतनमान काल्पनिक तौर पर 1 अप्रैल 1984 से दे। वास्तविक लाभ याचिका दायर करने से तीन साल पहले तक प्रतिबंधित कर देने के आदेश भी दिए गए थे। सरकार ने इन आदेशों को अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।