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स्कूलों के 4546 कमरों की मरम्मत के लिए सिर्फ ढाई करोड़; एक्शन में हाईकोर्ट
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के स्कूलों में 4546 कमरों की मरम्मत (Maintenance Of School Building ) के लिए सिर्फ ढाई करोड़ के बजट (Budget) पर सवाल उठाते हुए वित्त सचिव और शिक्षा सचिव को कोर्ट में बुलाने के आदेश जारी किए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने दोनों से स्पष्टीकरण (Sought Clarification) मांगा है। दोनों सचिवों को 22 नवम्बर को कोर्ट में तलब किया गया है।
कोर्ट ने पूछे थे कड़े सवाल
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से प्राइमरी और मिडिल स्कूलों का ब्योरा मांगा था। कोर्ट ने पूछा था कि प्रदेश में कितने प्राथमिक और मिडिल स्कूल हैं? क्या उन्हें किसी प्रकार की छोटी बड़ी मरम्मत की आवश्यकता है? क्या ऐसे स्कूलों में बिजली कनेक्शन (Power Connection) हैं? क्या ऐसे स्कूलों में शौचालय (Toilets) हैं और क्या स्कूल सह शिक्षा होने पर बाल और बालिका छात्रों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं?
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स्कूलों के रखरखाव के लिए वार्षिक बजट क्या है? क्या सरकार के पास छात्रों के अनुपात और उपलब्ध कक्षाओं की संख्या के आधार पर अतिरिक्त कक्षों के निर्माण की योजना है और पिछले पांच वर्षों के दौरान कितने नए स्कूल भवनों का निर्माण किया गया है? क्या भारत सरकार की ‘स्वच्छ विद्यालय योजना’ के नाम से जानी जाने वाली योजना राज्य में सभी सरकारी स्कूलों के लिए लागू की गई है और यदि हां, तो कितने स्थानों पर? स्कूलों की इमारतों की सुचारू रूप से मरम्मत व स्कूलों के उचित रखरखाव के आग्रह को लेकर हाईकोर्ट के समक्ष दायर जनहित याचिका पर उपरोक्त आदेश पारित किए गए है।