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ट्रांसफर मांगा शिमला का, भेजा कांगड़ा; अब हाईकोर्ट ने लगाई रोक
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सराज राजकीय महाविद्यालय में तैनात एक सहायक प्रोफेसर के तबादले (Stay on Transfer Order) पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने शिक्षा सचिव (Secretary Education) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर याचिकाकर्ता ख्याल चंद ने शिक्षा सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की है। मामले की सुनवाई 18 अगस्त को निर्धारित की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि शिक्षा सचिव ने अदालत के निर्णय के अनुसार उसका तबादला शिमला महाविद्यालय (Shimla College) में रिक्त पद पर नहीं किया। शिक्षा सचिव ने उसके प्रतिवेदन को न केवल खारिज किया, बल्कि उसका तबादला राजकीय महाविद्यालय सराज से कांगड़ा (Kangra) के राजकीय महाविद्यालय गुलेर कर दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वह राजकीय महाविद्यालय सराज के लंबाथाच में पिछले सात सालों से सहायक प्रोफेसर के पद पर तैनात था।
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हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं माना
उसने विभाग को प्रतिवेदन देकर उसके सुझाए स्थानों पर स्थानांतरित करने हेतु विचार करने के आदेशों की मांग की। जब विभाग ने उसके प्रतिवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने विभाग को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर कारण सहित विचार करते हुए विस्तृत आदेश पारित करने के आदेश दिए। इसके बाद शिक्षा सचिव ने 22 जुलाई को याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन को खारिज कर दिया।
संजौली में खाली थी पोस्ट
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि शिक्षा सचिव ने प्रतिवेदन को खारिज करते हुए साफ किया कि राजकीय महाविद्यालय संजौली जिला शिमला में सहायक प्रोफेसर का पद खाली पड़ा है। इस रिक्त पद को याचिकाकर्ता ने अपने प्रतिवेदन में भी दर्शाया था। याचिकाकर्ता को राजकीय महाविद्यालय संजौली में तैनाती दी जा सकती थी। इसके बावजूद भी शिक्षा सचिव ने उसे मंडी से कांगड़ा भेजने के आदेश जारी कर दिए।