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हिमाचल हाईकोर्ट ने मंडलायुक्त मंडी को लगाई फटकार, जाने क्या है मामला
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने मंडलायुक्त मंडी को निर्धारित समय के भीतर भू अधिग्रहण का अवार्ड घोषित ना करने पर फटकार लगाई है। कोर्ट ने उक्त आर्बिट्रेटर के समक्ष लंबित रेफरेंस याचिकाओं में पारित आदेशों का अवलोकन करने पर पीड़ा व्यक्त की और कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत नियुक्त आर्बिट्रेटर डिविजनल कमिश्नर मंडी (Arbitrator Divisional Commissioner Mandi) ने आर्बिट्रेशन अधिनियम के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए मामलों में कार्यवाही शुरू की। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी राम चंद और अन्य याचिकाकर्ताओं के मामलों का निपटारा करते हुए डिविजनल कमिश्नर मंडी को आदेश दिए हैं कि वह आर्बिट्रल कार्यवाही पर 30 जून 2023 तक कानून के अनुसार फैसला ले।
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कोर्ट ने डिविजनल कमिश्नर मंडी को चेताया है कि आइंदा से यदि आर्बिट्रेटर डिविजनल कमिश्नर मंडी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कोताही बरतने में शामिल हुआ तो उसकी आर्बिट्रेशन की शक्तियां छीनने से कोर्ट नहीं हिचकिचाएगा। उल्लेखनीय है कि आर्बिट्रेशन अधिनियम के तहत आर्बिट्रेटर को 1 साल के भीतर और पक्षकारों की सहमति से आगामी 6 महीनों के भीतर रेफरेंस याचिका (Reference Petition) का निपटारा करते हुए अवार्ड घोषित करना होता है। इस समय अवधि के भीतर ऐसा न कर पाने पर उसे हाईकोर्ट से समय बढ़ाने की मांग करते हुए आवेदन करना जरूरी है। प्रार्थियों के अनुसार डिविजनल कमिश्नर मंडी ने बिलासपुर में हुए भू अधिग्रहण के उनके मामलों में 5 वर्षों तक कोई अवार्ड घोषित नहीं किया इसलिए उन्हें मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
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