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हिमाचल विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, बजट सत्र में हुई 16 बैठकें, 75 घंटे चली कार्यवाही
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। सत्र के अंतिम दिन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने अपने समापन भाषण में कहा कि बजट सत्र की हुई कुल 16 बैठकों में 75 घंटे सदन की कार्यवाही चली। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान सदन की उत्पादकता 93.75 फीसदी रही, जो एक रिकार्ड है। पठानिया ने कहा कि बजट सत्र के दौरान कुल 639 तारांकित और 257 अतारांकित प्रश्न पूछे गए। इसके अलावा नियम 62 के् तहत 5, नियम 63 और 67 के तहत एक-एक मुद्दे पर चर्चा हुई।
सदन में कुल 8 विधेयक पारित हुए
पठानिया ने कहा नियम 130 के तहत सदन में 7 मुद्दों पर चर्चा हुई, जबकि नियम 324 के तहत 8 विषयों पर सदस्यों को उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों के लिखित जवाब मिले। सदन में कुल 8 विधेयक पारित हुए। उन्होंने कहा कि गैर सरकारी सदस्य कार्यदिवस के तहत तीन संकल्प चर्चा के लिए आए, जिनमें से दो पर चर्चा हुई, जबकि एक संकल्प पर अगले सत्र में चर्चा होगी। एक सरकारी संकल्प चर्चा के बाद सदन ने वापस ले लिया। इस सदन में 17 मार्च को राज्य के वर्ष 2023-24 के बजट पर 52 सदस्यों ने 19 घंटे 51 मिनट तक चर्चा की।
विधायक संस्थान को मजबूत करने के लिए विस अध्यक्ष की अध्यक्षता में कमेटी गठित
इससे पूर्व, सत्र के समापन अवसर पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बजट सत्र के दौरान कई ऐतिहासिक बिल पास हुए। इनमें 1972 के भू-राजस्व कानून में लड़कियों को भी एक कानून के रूप में मान्यता दिया जाना प्रमुख है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को परिणाम जल्द दिखने लगेंगे। उन्होंने इस मौके पर विधायक संस्थान को मजबूत करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की अध्यक्षता में एक कमेटी के गठन की घोषणा की। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी, विधायक विपिन सिंह परमार, संजय रतन, त्रिलोक जम्वाल और भवानी सिंह पठानिया इस कमेटी के सदस्य होंगे। यह कमेटी अगले सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेगी, जिस पर मौनसून सत्र में विचार होगा। उन्होंने प्रदेश को आने वाले समय में आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कड़े फैसले लेने की भी पैरवी की। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने अपने समापन भाषण में सरकार पर निशाना साधा और कहा कि उसने पूर्व सरकार द्वारा खोले गए संस्थानों को बंद करने का निर्णय राजनीति से प्रेरित होकर लिया है और यह मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है।
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