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यहां पढ़े शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दोष दूर करने के अचूक उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक मात्र ऐसा ग्रह बताया गया है जो एक साथ पांच राशियों पर सीधा प्रभाव डालता है। एक समय में शनि की तीन राशियों पर साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या रहती है। शनिदेव का स्वभाव क्रूर माना गया है और शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के समय में प्रभावित राशि के लोगों को कड़ी मेहनत करना पड़ती है। अभी शनि की साढ़ेसाती कन्या, तुला और वृश्चिक पर है तथा ढैय्या कर्क और मीन राशि पर है। यहां जानिए शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दोष दूर करने के रामबाण उपाय। शनि की साढ़ेसाती हो या फिर ढैय्या सबके लिए शनि-मंत्र रामबाण उपाय है।
शनिवार का दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ होता है। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शास्त्रों में बहुत सारे उपाय बताए गए हैं लेकिन जो शक्ति शनि मंत्र है वह अन्य किसी उपाय में नहीं है।
शनि स्तोत्र :
नमस्ते कोणसंस्थाय पिडगलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते।।
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो।।
नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च।।
शनि के इस स्तोत्र का पाठ करने से शनि के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इससे बेहतर कोई स्तोत्र नहीं है। इस स्तोत्र का कम से कम 11 बार पाठ करना चाहिए।
शनिदेव को खुश करने के लिए शनिवार को सूर्योदय से पहले जगकर पीपल की पूजा करने से शनिदेव खुश होते हैं। शनिवार को पीपल के पेड़ में सरसों का तेल चढ़ाने से शनि देव अति प्रसन्न होते हैं।
शनिवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से प्रारंभ करे और 19, 31 या 41 शनिवार तक करे। प्रात: स्नान आदि करके काले रंग की बनियान धारण करे और सरसो के तेल का दान करे तथा तांबे के कलश मे जल, थोडे काले तिल, लोंग, दुध, शक्कर, आदि डाल के पीपल अथवा खेजडी के वृक्ष के दर्शन करते हुये पश्चिम दिशा कि तरफ़ मुख रखते हुये जल प्रदान करे. तथा “ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नम: ” इस बीज मंत्र का यथाशक्ति जाप करे। इस दिन भोजन में उडद दाल एवं केले और तेल के पदार्थ बनाये।
भोजन से पूर्व भोजन का कुछ भाग काले कुत्ते या भिखारी को दे उसके बाद प्रथम 7 ग्रास उपरोक्त पदार्थ ग्रहण करे बाद में अन्य पदार्थ ग्रहण करे। अंतिम शनिवार को हवन क्रिया के पश्चात यथाशक्ति तिल, छाता, जूता, कम्बल, नीला-काला वस्त्र, आदि वस्तुओ का दान निर्धन व्यक्ति को करे। व्रत के दिन जल, सभी प्रकार के फल, दूध एवं दूध से बने पदार्थ या औषध सेवन करने से व्रत नष्ट नहीं होता है। व्रत के दिन एक बार भी पान खाने से, दिन के समय सोने से, स्त्री रति प्रसंग आदि से व्रत नष्ट होता है।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का उपाय :
द्वादश भाव में शनि हो तो शराब व मांस का सेवन न करे, लग्न में शनि हो तो किसी भी एक शनिवार को 50 ग्राम सुरमा जमीन में दबाये, बंदर को गुड़ दें, द्वितीय भाव में शनि हो तो नंगे पैर मंदिर में दर्शन हेतु जाये। सांप को दूध पिलाए, तेल का दान करे, लोहे का सामान, चिमटा, तवा, अंगीठी ( रोटी पकाने का सामान ) आदि का दान करे, लोहे का छल्ला दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करे।
क्या हैं वे और भी उपाय जो शनि के प्रकोप को शान्त कर उनकी कृपा-दृष्टि को आकर्षित करते हैं।
हनुमान चालीसा का पाठ :
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ शनिदेव के प्रकोप से बचने का रामबाण उपाय है। अगर आप ढैय्या या साढ़ेसाती से गुज़र रहे हैं और शनि द्वारा दिए कष्टों से पीड़ित हैं, तो हनुमान चालीसा आपके लिए अचूक औषधि की तरह है।
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तिल, तेल और छायापात्र का दान :
तिल, तेल और छायापात्र शनिदेव को अत्यन्त प्रिय माने जाते हैं। इन चीज़ों का दान शनि की शान्ति का प्रमुख उपाय है। मान्यता है कि यह दान शनि देव द्वारा दिए जाने वाले कष्टों से निजात दिलाता है। छायापात्र दान की विधि बहुत ही सरल है। मिट्टी के किसी बर्तन में सरसों का तेल ले उसमें अपनी छाया देखकर उसे दान कर दें। यह दान शनि के आपके ऊपर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को दूर कर उनका आशीर्वाद लाता है।
धतूरे की जड़ धारण करें :
वैदिक ज्योतिष में विभिन्न जड़ों की मदद से ग्रहों की शान्ति का विधान है।शनिदेव को ख़ुश कर उनकी कृपा पाने के लिए ग्रन्थों में धतूरे की जड़ को धारण करने की सलाह दी गई है। धतूरे की जड़ का छोटा-सा टुकड़ा गले या हाथ में बांधकर धारण किया जा सकता है। इस जड़ी को धारण करने से शनि की ऊर्जा आपको सकारात्मक रूप से मिलने लगेगी और जल्दी ही आपको ख़ुद अन्तर महसूस होगा।
सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें :
जड़ियों की ही तरह रुद्राक्ष को भी हानि रहित उपाय की मान्यता प्राप्त है। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना न सिर्फ़ भगवान शिव को प्रसन्न करता है, बल्कि शनिदेव का आशीर्वाद भी दिलाता है। पुराणों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से घर में धन धान्य की कमी नहीं रहती है और लक्ष्मी मैया की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही सेहत से जुड़ी समस्याओं में भी इसे बहुत प्रभावी माना जाता है। इस रुद्राक्ष को सोमवार या शनिवार के दिन गंगा जल से धोकर धारण करने से शनि जनित कष्टों से छुटकारा मिलता है और समृद्धि प्राप्त होती है।