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शिमला। डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एंड यूथ एसोसिएशन (डीएसवाईए) ने मांग की है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh University) द्वारा दृष्टिबाधित और लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए वेबसाइट पर डाली गई गलत एवं भ्रामक गाइडलाइन्स को तुरंत हटाया जाए। इससे विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के विकलांग विद्यार्थी परेशान हैं। प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सिकंदर कुमार को लिखे पत्र में डीएसवाईए के संयोजक मुकेश कुमार और सह.संयोजक सवीना जहां ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) ने यूजीसी और दिल्ली हाईकोर्ट (UGC-Delhi High Court) के आदेशों का उल्लंघन किया है। उनका कहना है कि यूजीसी ने 26 फरवरी 2019 को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समेत देश के सभी विश्वविद्यालयों को भेजे पत्र में निर्देश दिए थे कि परीक्षाओं में राइटर संबंधी गाइडलाइंस को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन किया जाए।
मुकेश कुमार और सवीना जहां ने कहा कि यूजीसी के निर्देशों में स्पष्ट कहा गया था कि जब तक विश्वविद्यालय दृष्टिबाधित एवं लिखने में असमर्थ (Visually impaired and unable to write) अन्य विद्यार्थियों के लिए राइटरों का पैनल तैयार ना तैयार कर लें तब तक केंद्र सरकार की 2018 की गाइडलाइन लागू ना की जाएं। ऐसी स्थिति में वर्ष 2013 वाली गाइडलाइंस के अनुरूप विकलांग विद्यार्थियों को राइडर लेने की सुविधा दी जाए। उन्होंने कहा कि 2018 की गाइडलाइंस में परीक्षा में लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए एक क्लास जूनियर राइटर लेने की बाध्यता है। साथ ही यह भी कहा गया है शिक्षण संस्थान राइटरों का पैनल तैयार करें और उससे राइटर उपलब्ध कराएं। जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ने यूजीसी को आदेश दिया था कि जब तक राइटर का पैनल ना बना लिया जाए तब तक 2013 वाली गाइडलाइंस ही लागू की जाएं। पुरानी गाइडलाइंस में किसी भी पात्र विकलांग परीक्षार्थी के लिए कोई भी राइटर बन सकता है और उसमें एक क्लास जूनियर वाली बाध्यता नहीं है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने पैनल तैयार किए बिना ही राइटर संबंधी नई गाइडलाइंस लागू कर दी। इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए।डीएसवाईए ने कुलपति से मांग की है कि प्रदेश विश्वविद्यालय में राइटर का पैनल तैयार किए जाने तक पुरानी गाइडलाइन से ही लागू की जाएं।
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