-
Advertisement
अगर उम्मीदवार आपराधिक मामलों की जानकारी न दे तो भी नियुक्ति नहीं रोक सकते
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में आदेश दिया है कि किसी तरह की नौकरी के आवेदन पत्र (Job Application Form) में अगर किसी भी उम्मीदवार ने आपराधिक मामलों के कॉलम (Column For Criminal Case Details) में जानकारी नहीं दी है और पुलिस वेरिफिकेशन में ऐसे मामलों का पता चलता है, तब भी नियोक्ता एजेंसी आवेदक को नियुक्ति पत्र से वंचित नहीं कर सकती।
पश्चिम बंगाल के एक उम्मीदवार ने पुलिस कॉन्स्टेबल की नौकरी के आवेदन पत्र में आपराधिक मामले के बारे में जानकारी देने वाले खाने को खाली छोड़ दिया था। बाद में जब पुलिस सत्यापन (Police Verification) हुआ तो उसके खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी मिली। कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए याचिकाकर्ता यानी पश्चिम बंगाल सरकार को चार हफ्तों के अंदर पीड़ित युवक को पुलिस कॉन्स्टेबल (Police Constable) का नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया है।
यह भी पढ़े: हिमाचल सरकार ने बदली पीजी नीति, गांवों में डॉक्टरी पर मिलेंगे प्रोत्साहन अंक
हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया
जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में लंबित आपराधिक मामले के अंतिम परिणाम के अधीन प्रतिवादी को पुलिस कांस्टेबल के रूप में नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) जारी करने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
सत्यापन फॉर्म विशिष्ट हो, अस्पष्ट नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अवतार सिंह बनाम भारत संघ (2016) में निर्धारित सिद्धांत को दोहराते हुए कहा, “दमन या गलत जानकारी का निर्धारण करने के लिए सत्यापन/सत्यापन फॉर्म विशिष्ट होना चाहिए, अस्पष्ट नहीं। कौन सी जानकारी प्रकट की जानी जरूरी है, फॉर्म में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया जाना आवश्यक है। यदि जानकारी नहीं मांगी गई है, लेकिन प्रासंगिक है और नियोक्ता को बाद में पता चल जाता है, तो उपयुक्तता के मामले को गौर करते समय उस पर वस्तुनिष्ठ तरीके से विचार किया जा सकता है। हालांकि, ऐसे मामलों में, उस तथ्य को दबाने या गलत जानकारी प्रस्तुत करने के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, जिसके बारे में पूछा ही नहीं गया था।”