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पीड़िता की सहमति से POCSO केस सुलझे तो FIR रद्द करने पर आपत्ति नहीं: HC
विधि संवाददाता/शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal HC) ने पॉक्सो (POCSO Act) से जुड़े मामले में यह शुक्रवार को साफ किया कि अगर पीड़िता (Victim) की सहमति से मामला सुलझ जाता है तो ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट को प्राथमिकी (FIR) रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने हाईकोर्ट की दो अलग-अलग एकल पीठ के विरोधाभासी फैसले के कारण उपजे विवाद पर अपनी कानूनी स्थिति स्पष्ट की। हाईकोर्ट की एक एकल पीठ का यह मत था कि अगर इन परिस्थितियों में दोनों पक्षों के बीच सुलह हो जाती है तो उस स्थिति में हाईकोर्ट को आरोपी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। दूसरी एकल पीठ (Single Bench) का यह मत था कि उपरोक्त परिस्थितियों में अगर दोनों पक्षों की सुलह भी हो जाती है तो उन परिस्थितियों में भी आरोपी के खिलाफ प्राथमिक रद्द नहीं हो सकती है।
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पीड़िता को न्याय मिलना जरूरी
कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड के दृष्टिगत पाया कि नाबालिग पीड़िता (Minor Victim) व उसके परिवारजनों ने मामले को सुलझा लिया है। मामले का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद कोर्ट संतुष्ट है कि कार्यवाही को रद्द करने से पीड़िता को न्याय मिलेगा, जबकि प्राथमिकी और ट्रायल (Trial) जारी रखने से उसके साथ अन्याय होगा।