-
Advertisement
सावधान ! July-August में शिखर पर हो सकती है कोरोना महामारी
Last Updated on May 22, 2020 by
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस महामारी का पीक (शिखर) जुलाई से मध्य अगस्त तक आ सकता है। ये कहना है इंस्टीटयूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) के निदेशक डॉक्टर एसके सरीन का। डॉक्टर एसके सरीन (Dr SK Sarin) ने एंटीबॉडी टेस्टिंग, कोरोना वायरस महामारी, सामुदायिक सर्विलांस जैसे कई मुद्दों पर बातचीत की। सरीन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की उस पांच सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं जो महामारी से निपटने में मदद कर रही है।
यह भी पढ़ें: India में Corona ने तोड़े रिकॉर्ड, एक दिन में 6 हजार से ज्यादा Case, 148 की गई जान
लॉकडाउन के नियमों में ढील देने की वजह से हो रहा प्रसार
जब उनसे पूछा गया कि क्या दिल्ली में कोरोना का सामुदायिक प्रसार हुआ है तो उन्होंने कहा कि सामुदायिक प्रसार (Community spread) तब होता है जब संक्रमण बिना ट्रैवल हिस्ट्री या ज्ञात कॉन्टैक्ट के फैले। यह प्रवासी मजदूरों के बड़ी संख्या में गतिविधि करने और लॉकडाउन के नियमों में ढील देने की वजह से हो रहा है। लोग सामुदायिक प्रसार शब्द से डरते हैं लेकिन यह लगभग सभी देशों में हुआ है और वर्तमान में हमारे यहां होने की संभावना है। एक इंटरव्यू में डॉ. सरीन ने कहा कि लॉकडाउन ने वायरस के Peak (शिखर) को कुछ समय के लिए टाल दिया है। जुलाई या अगस्त के मध्य में देश में इसका पीक आने की संभावना है। वर्तमान में देश के अंदर कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यह तब तक रहेगा जब तक कि प्रजनन संख्या एक से अधिक हो (मतलब प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति वायरस को एक से अधिक लोगों में फैलाए)।
साल-डेढ़ साल तक असुरक्षित बना रहेगा दिल्ली
दिल्ली के लिए सबसे खराब स्थिति के बारे में पूछने पर आईएलबीएस के निदेशक ने कहा, ‘हम पहले से ही दूसरे परिदृश्य में हैं। समिति ने एक दिन में 500 मामलों को लेकर बात की थी। दिल्ली तीसरे परिदृश्य के लिए भी तैयार है जिसमें एक दिन में एक हजार मामले सामने आ सकते हैं। हम अब रोजाना पांच हजार परीक्षण कर रहे हैं। यह संख्या जरूरत पड़ने पर 10 हजार तक जा सकती है। दिल्ली अच्छा कर रही है लेकिन दूसरे राज्यों के लोगों की आवाजाही के कारण यह बहुत असुरक्षित शहर बन गया है। यह आने वाले साल-डेढ़ साल तक असुरक्षित शहर बना रहेगा। दिल्ली के लोगों को बहुत ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है।’