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मैक्लोडगंज में तिब्बतियों ने नाच- गाकर लोसर मनाया, सबसे बड़ी पूजा की
धर्मशाला। बौद्ध नगरी मैक्लोडगंज में निर्वासित तिब्बतियों ने नाच गाकर लोसर मनाया। लोसर के तीसरे दिन सबसे बड़ी पूजा की जाती है। चुगलाखंग बौद्ध के साथ लगते मठ में निर्वासित तिब्बतियों ने सबसे बड़ी पूजा में हिस्सा लिया। इस दौरान सुख-समृद्धि और विश्व कल्याण की कामना की गई।
सुख-समृद्धि और विश्व कल्याण की कामना की गई
तिब्बत सेटलमेंट ऑफिसर धर्मशाला कुंचोक मिगमार ने बताया कि लोसर के तीसरे दिन विशेष व बड़ी पूजा में सुख-समृद्धि, विश्व कल्याण की कामना की गई। तिब्बतियों के लिए लोसर का तीसरा दिन पवित्र माना जाता है, जिसे निर्वासित तिब्बती दिन भर नाच गाकर मनाते हैं।
स्थानीय युवक ताशी दोर्जे ने बताया कि लोसर के तीसरे दिन सबसे बड़ी पूजा की जाती है, जिसमें विश्व कल्याण की कामना की जाती है। तिब्बत में तो महीना भर लोसर मनाया जाता है, जबकि धर्मशाला में मुख्यत: तीन दिनों तक लोसर की धूम रहती है। निर्वासित तिब्बती लोसर पर घरों में नाचते हैं, झूमते हैं और नया वर्ष अच्छे से बीते, इसकी कामना करते हैं।